नई दिल्ली : नेपाल में सरकार बने अभी कुछ ही दिन हुए है. नेपाल के पीएम के ऊपर संकट के बादल छाए हुए हैं. वहीं पीएम पुष्पकमल सिंह प्रचंड के सामने सरकार बचाने की चुनौती है. पीएम पुष्पकमल सिंह प्रचंड के ऊपर सामूहिक नरसंहार का मुकदमा दर्ज हो गया है. सुप्रीम कोर्ट के आदेश के […]
नई दिल्ली : नेपाल में सरकार बने अभी कुछ ही दिन हुए है. नेपाल के पीएम के ऊपर संकट के बादल छाए हुए हैं. वहीं पीएम पुष्पकमल सिंह प्रचंड के सामने सरकार बचाने की चुनौती है. पीएम पुष्पकमल सिंह प्रचंड के ऊपर सामूहिक नरसंहार का मुकदमा दर्ज हो गया है. सुप्रीम कोर्ट के आदेश के बाद माओवदी पीड़ित पक्ष की तरफ से वकीलों ने प्रधानमंत्री पुष्कमल सिंह प्रचंड के खिलाफ मुकदमा दायर किया है.
पीएम के खिलाफ मुकदमा दर्ज होने के बाद सुप्रीम कोर्ट ने 9 मार्च के लिए पेशी की तारिख भी तय कर दी है. मीडिया रिपोर्ट के अनुसार पीएम के खिलाफ 2 अलग-अलग रिट दायर की गई है. लेकिन दोनों की सुनवाई एक साथ होगी. सुप्रीम कोर्ट ने 9 मार्च को सुबह 10 बजे पीएम को कोर्ट में हाजिर होने के लिए वारंट भी जारी कर दिया है.
SC के अधिवक्ता सुवास गिरी, बुढाथोकी समेत 8 अधिवक्ताओं ने और SC के ही वकील ज्ञानेंद्र राज अरन समेत 14 लोगों ने पीएम पुष्पकमल सिंह प्रचंड के खिलाफ 2 अलग-अलग याचिका दायर की है. याचिकाकर्ता बुढाथोकी का कहना है कि पीएम ने खुद ही 5 हजार लोगों की हत्या की जिम्मेदारी सार्वजनिक रूप से स्वीकार की थी. इसलिए पीएम के खिलाफ यह मामला दर्ज किया गया है. आपको बता दें कि जनयुद्ध के नाम पर पुष्पकमल सिंह प्रचंड के आदेश पर ही कई सामूहिक नरसंहार को अंजाम दिया गया था.
आपको बता दें कि पुष्पकमल सिंह प्रचंड ने 15 जनवरी 2020 में काठमांडू में आयोजित एक सार्वजनिक सभा में प्रचंड ने माओवादियों द्वारा चलाए गए सशस्त्र विद्रोह के दौरान मारे गए पांच हजार लोगों की हत्या की जिम्मेदारी लेने की बात कही थी.
पुष्पकमल सिंह प्रचंड ने कहा कि सशस्त्र विद्रोह में 17 हजार नागरिकों की हत्या का आरोप लगाया जाता है लेकिन यह सही नहीं है. मीडिया रिपोर्ट के अनुसार सरकार द्वारा जो मरने वाले का आंकड़ा सामने आया था वे 12 हजार था जो तत्कालीन शासकों द्वारा करवाई गई थी. लेकिन उसका भी आरोप मुझ पर लगा दिया जाता है. मैं पांच हजार नागरिकों के हत्या की जिम्मेदारी लेने के लिए तैयार हूं. इससे हम पीछ नहीं हटेंगे.