नई दिल्ली : नाटकीय रूप से नेपाल को उसका प्रधानमंत्री मिल गया जहां गठबंधन की सरकार बनने के बाद पुष्प कमल दहल प्रचंड नेपाल के प्रधानमंत्री बने. हालांकि नवनिर्वाचित प्रधानमंत्री पुष्प कमल दहल प्रचंड के सामने अभी से संसद की कसौटी शुरू हो गई है. अब प्रधानमंत्री पद पर शपथ ले चुके प्रचंड को 10 […]
नई दिल्ली : नाटकीय रूप से नेपाल को उसका प्रधानमंत्री मिल गया जहां गठबंधन की सरकार बनने के बाद पुष्प कमल दहल प्रचंड नेपाल के प्रधानमंत्री बने. हालांकि नवनिर्वाचित प्रधानमंत्री पुष्प कमल दहल प्रचंड के सामने अभी से संसद की कसौटी शुरू हो गई है. अब प्रधानमंत्री पद पर शपथ ले चुके प्रचंड को 10 जनवरी, 2023 को नेपाल संसद में अपना विश्वास मत हासिल करना है.
संसद सचिवालय के प्रवक्ता रोजनाथ पांडेय ने जानकारी दी कि विश्वास मत को लेकर प्रधानमंत्री की ओर से एक पत्र भी संसद में भेजा गया है। बहले ही प्रचंड आज नेपाल के प्रधानमंत्री बन चुके होने लेकिन उनकी मुश्किलें काम नहीं हुई हैं. प्रधानमंत्री नियुक्त होने के बावजूद प्रचंड को अगले एक महीने के अंदर निचले सदन से विश्वास मत प्राप्त करना होगा। 9 जनवरी 2023 को नेपाल की राष्ट्रपति विद्या देवी भंडारी ने नवगठित कैबिनेट की सिफारिश पर अगला सदन सत्र बुलाने का आह्वान किया है. 20 नवंबर को देश में चुनाव हुए थे. इन चुनावों के बाद पहली बार प्रतिनिधि सभा और नेशनल असेंबली की बैठक होगी.
प्रधानमंत्री बने पुष्प कमल दहल तीसरी बार नेपाल के पीएम पद पर शपथ ले रहे हैं. उनकी पहचान नेपाल में विद्रोही नेता के तौर पर है जिन्होंने नेपाल में माओवादी विद्रोह का नेतृत्व किया और हिमालयी देश के राजशाही शासन को ख़त्म कर देश में लोकतंत्र की व्यवस्था की शुरुआत भी की. लोकतंत्र स्थापित होने के बड़ा नेपाल के पहले प्रधानमंत्री बनने के सौभाग्य भी प्रचंड को ही मिला. इसके अलावा ‘प्रचंड’ साल 2008-09 और फिर 2016-17 तक दो बार देश के प्रधानमंत्री रह चुके हैं.
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