Nepal : जानिए कौन है पुष्प कमल दहल प्रचंड, प्रधानमंत्री के रूप में ली शपथ

नई दिल्ली : रविवार का दिन नेपाल के राजनीतिक के लिए काफी नाटकीय रहा. लेकिन आखिरकार देश को अपना अगला प्रधानमंत्री मिल गया. अब नेपाल में गठबंधन की सरकार आएगी जहां अगले ढाई साल के लिए पुष्प कमल दहल ‘प्रचंड’ नेपाल के प्रधानमंत्री बनेंगे. आइए आपको नेपाल के नए प्रधानमंत्री कमल दहल ‘प्रचंड’ के बारे […]

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Nepal : जानिए कौन है पुष्प कमल दहल प्रचंड, प्रधानमंत्री के रूप में ली शपथ

Riya Kumari

  • December 26, 2022 4:50 pm Asia/KolkataIST, Updated 2 years ago

नई दिल्ली : रविवार का दिन नेपाल के राजनीतिक के लिए काफी नाटकीय रहा. लेकिन आखिरकार देश को अपना अगला प्रधानमंत्री मिल गया. अब नेपाल में गठबंधन की सरकार आएगी जहां अगले ढाई साल के लिए पुष्प कमल दहल ‘प्रचंड’ नेपाल के प्रधानमंत्री बनेंगे. आइए आपको नेपाल के नए प्रधानमंत्री कमल दहल ‘प्रचंड’ के बारे में बताते हैं.

कौन पुष्प कमल दहल ‘प्रचंड’?

प्रधानमंत्री बने पुष्प कमल दहल तीसरी बार नेपाल के पीएम पद पर शपथ ले रहे हैं. उनकी पहचान नेपाल में विद्रोही नेता के तौर पर है जिन्होंने नेपाल में माओवादी विद्रोह का नेतृत्व किया और हिमालयी देश के राजशाही शासन को ख़त्म कर देश में लोकतंत्र की व्यवस्था की शुरुआत भी की. लोकतंत्र स्थापित होने के बड़ा नेपाल के पहले प्रधानमंत्री बनने के सौभाग्य भी प्रचंड को ही मिला. इसके अलावा ‘प्रचंड’ साल 2008-09 और फिर 2016-17 तक दो बार देश के प्रधानमंत्री रह चुके हैं.

गरीब किसान परिवार से हैं नए PM

पुष्प कमल दहल का मध्य नेपाल के पहाड़ी कास्की जिले में पैदा हुए. उनके परिजन गरीब किसान थे जब वह 11 साल के थे तभी उनका परिवार चितवन जिले में चला गया. यहीं उनकी शिक्षा-दीक्षा पूरी हुई और चितवन में ही एक स्कूली शिक्षक के संपर्क में आने के बाद से उनकी रूचि कम्यूनिज्म को लेकर बढ़ी। साल 1975 में उन्होंने रामपुर में कृषि और पशु विज्ञान संस्थान से स्नातक की पढ़ाई पूरी की. इसके बाद उन्होंने 1972 से अध्यापन को अपना पेशा बनाया.

लोकतंत्र लाने में अहम भूमिका

वह साल 1975 में यूएसएआईडी से जुड़े और कुछ सालों बाद 1981 में दहल नेपाल की अंडरग्राउंड कम्युनिस्ट पार्टी (चौथा सम्मेलन) में शामिल हो गए. इसके बाद से उनका राजनीतिक कद बढ़ने लगा. और साल 1989 में वह नेपाल की कम्युनिस्ट पार्टी (मशाल) के महासचिव बन गए।यह पार्टी बाद में जाकर कम्युनिस्ट पार्टी (माओवादी) बनी. साल1990 में जब लोकतंत्र की बहाली होने जा रही थी तब प्रचंड गुप्त रहकर काम करते थे. साल 1996 में जब नेपाल में राजशाही खत्म करने का विद्रोही अभियान शुरू हुआ तो विद्रोह के 10 वर्षों के दौरान प्रचंड गुप्त रहे. आठ साल उन्होंने भारत में भी बिताए हैं. आज एक बार फिर वह नेपाल के प्रधानमंत्री बनने जा रहे हैं.

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