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NASA lands Mars InSight on Red Planet: नासा ने मंगल ग्रह पर लैंड किया मार्स इनसाइट, खोलेगा लाल ग्रह के सारे राज

NASA lands Mars InSight on Red Planet: मंगल ग्रह की सारी जानकारी लेने के लिए अमेरिकी अंतरिक्ष एजेंसी 'नासा' ने 'मार्स इनसाइट' यान लाल ग्रह की धरती पर उतार दिया है. इसकी मदद से नासा मंगल ग्रह की सारी जानकारी जुटाएगा.

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nasa s rover first arrived on red planet in 2012
  • November 27, 2018 8:00 am Asia/KolkataIST, Updated 6 years ago

नई दिल्ली. अमेरिकी अंतरिक्ष एजेंसी ‘नासा’ ने ‘मार्स इनसाइट’ यान मंगल की धरती पर उतार दिया है. नासा के इतिहास में मंगल पर यह आठवीं सफल लैंडिंग है. मार्स इनसाइट ने सोमवार रात मंगल की धरती पर लैंडिंग की. मार्स इनसाइट के लैंड करते ही नासा के जेट प्रोपुलजन लेबोरेट्री में खुशियों का दौर शुरू हो गया. मार्स इनसाइट ने मंगल की धरती पर लैंड करने के बाद वहां की पहली तस्वीर भी भेज दी. अमेरिकी एजेंसी नासा का मानना है कि मार्स इनसाइट से हमें चंद्रमा के बारे में बहुत सारी नई जानकारियां मिलेंगी.

नासा का मार्स इनसाइट करीब 7 साल के सफर के बाद चंद्रमा की धरती पर लैंड हुआ है. नासा ने इसके साथ ही मंगल पर आठवीं सफल लैंडिंग की है. मार्स इनसाइट ने 19,800 किलोमीटर प्रति घंटा की रफ्तार से मंगल ग्रह के बाहरी वातावरण में प्रवेश किया. मंगल की धरती पर लैंड करते वक्त तक उसकी रफ्तार पहले आठ किलोमीटर प्रतिघंटा तक कम हुई. यानि आहिस्ता-आहिस्ता यह मंगल की धरती पर लैंड हुआ.

नासा ने पृथ्वी के पड़ोसी गृह पर 2012 के बाद पहला स्पेसक्राफ्ट लैंड कराया है. यह मार्स ‘इंटीरियर एक्सप्लोरेशन यूजिंग सीस्मिक इंवेस्टिगेशंस, जियोडेसी एंड हीट ट्रांसपोर्ट’ (इनसाइट) लेंडर 2012 में लॉन्च किया गया था. इसके बाद से मार्स इनसाइट को लैंड किया गया है. नासा के अलावा दुनियाभर की कई अंतरिक्ष एजेंसियां अपने यान मंगल पर उतारने के लिए प्रयासरत हैं. कई एजेंसियों के rovers, कक्षाओं और जांच के साथ मंगल ग्रह तक पहुंचने के 43 से ज्यादा प्रयास असफल रहे हैं. वहीं, नासा की यह आठवीं सफलता है.

मंगल यानि लाल ग्रह पर लोगों को भेजने को लेकर काफी समय से चर्चाएं चलती रही हैं. इसलिए यहां का तापमान और पानी वगैराह की स्थिति जानना जरूरी हो गया है. नासा का 2030 तक मंगल पर लोगों को भेजने का प्लान है. इसी कड़ी में मार्स इनसाइट को मंगल की आंतरिक संरचना की जानकारी के लिए भेजा गया है. इसमें सिस्मोमीटर के उपयोग से मंगल के निर्माण की प्रकिया को समझने में मदद मिलेगी.

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