नई दिल्ली। ताइवान दौरे के दौरान अमेरिकी प्रतिनिधि सभा की अध्यक्ष नैंसी पेलोसी ने राष्ट्रपति त्साई इंग-वेन और अन्य सांसदों के साथ मुलाकात की। राष्ट्रपति से मिलने से पहले पेलोसी ने ताइवान की संसद को संबोधित किया। जिसमें उन्होंने कहा कि हम ताइवान के लोगों के साथ खड़े हैं और यहां के लोकतंत्र के समर्थक है। हम इस हंगामे से रूकने वाले नहीं है।
नैंसी पेलोसी ने अपने संबोधन में आगे कहा कि आज यहां पर हम आपकी बात को सुनने के लिए आए हैं। कोरोना की लड़ाई में ताइवान ने दूसरे देशों के लिए मिसाल पेश की है। आज ताइवान और अमेरिका की दोस्ती पर सबकों गर्व है।
पेलोसी ने आगे कहा कि अमेरिका दुनिया के सबसे स्वतंत्र समाजों में से एक होने के लिए ताइवान की सराहना करता है। पेलोसी ने संसद में संबोधन के बाद मीडिया से भी बात की। जिसमें उन्होंने कहा कि उनके ताइवान आने के तीन बेहद अहम मुद्दे- सुरक्षा, शांति और सरकार है।
ताइवान दक्षिण पूर्वी चीन के तट से करीब 100 मील दूर स्थित एक द्वीप है। ताइवान खुद को एक संप्रभु राष्ट्र मानता है। उसका अपना संविधान और लोगों द्वारा चुनी हुई सरकार भी है। वहीं चीन की कम्युनिस्ट सरकार ताइवान को अपने देश का महत्वपूर्ण हिस्सा बताती है। चीन इस द्वीप को एक बार फिर से अपने नियंत्रण में लेना चाहता है। चीनी राष्ट्रपति शी जिनपिंग ताइवान और चीन के पुन: एकीकरण की जोरदार वकालत करते आए हैं।
वन चाइना पॉलिसी का मतलब ताइवान कोई अलग देश नहीं बल्कि वो चीन का ही हिस्सा है। 1949 में बना पीपल्स रिपब्लिक ऑफ चाइना (पीआरसी) ताइवान को अपना ही प्रांत मानता है। इस पॉलिसी के तहत मेनलैंड चीन और हांगकांग-मकाऊ जैसे दो विशेष रूप से प्रशासित क्षेत्र भी आते हैं।
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