नई दिल्ली, दुनिया की दो सुपरपावर अमेरिका और चीन की सेनाएं ताइवान के मसले पर आमने-सामने आ गई हैं, साउथ चाइना सी दोनों ही महाशक्तियों के बीच जंग का अखाड़ा बनता हुआ नज़र आ रहा है. अमेरिकी संसद की अध्यक्ष नैंसी पेलोसी अब चीन पहुँच गई हैं, वहीं चीन ने इसपर कह दिया है कि […]
नई दिल्ली, दुनिया की दो सुपरपावर अमेरिका और चीन की सेनाएं ताइवान के मसले पर आमने-सामने आ गई हैं, साउथ चाइना सी दोनों ही महाशक्तियों के बीच जंग का अखाड़ा बनता हुआ नज़र आ रहा है. अमेरिकी संसद की अध्यक्ष नैंसी पेलोसी अब चीन पहुँच गई हैं, वहीं चीन ने इसपर कह दिया है कि अमेरिका जुआ खेलकर बहुत बड़ी गलती कर रहा है और अब जो भी होगा उसकी ज़िम्मेदारी अमेरिका की ही होगी.
इसी साल फरवरी में दुनिया ने यूक्रेन-रूस युद्ध देखा है, अब तक ये युद्ध खत्म नहीं हुआ वहीं अब दुनिया में एक और युद्ध का खतरा मंडरा रहा है. चीन ने धमकियों के साथ-साथ अब ताइवान के खिलाफ एक्शन भी शुरू कर दिया है. चीन में अलर्ट वाले सायरन बज रहे हैं, इसी के साथ चीन ने फैसला कर लिया है कि वह 4 अगस्त से ताइवान के पास ही युद्धाभ्यास करेगा. चीनी सेना ने कहा है कि वह गुरुवार से रविवार तक ताइवान के आसपास के छह क्षेत्रों में जरूरी मिलिट्री ड्रिल करेगा, जिसमें लाइव फायर ड्रिल भी शामिल होंगी. दूसरी तरफ ताइवान में भी Level-2 का अलर्ट जारी कर दिया गया है, यह अलर्ट युद्ध के लिए तैयार करने को जारी हुआ है. 1996 के बाद पहली बार ताइवान में ऐसा अलर्ट जारी किया गया है.
ताइवान और चीन के बीच की जंग काफी पुरानी है, साल 1949 में कम्यूनिस्ट पार्टी ने सिविल वार जीता था. तब से दोनों हिस्से अपने आप को एक देश तो मानते हैं लेकिन इसपर विवाद है कि इसका नेतृत्व कौनसी सरकार करेगी. चीन ताइवान को अपना प्रांत मानता है, जबकि ताइवान खुद को आजाद देश मानता है, अब दोनों के बीच अनबन की शुरुआत दूसरे विश्व युद्ध के बाद से हुई थी. उस समय चीन के मेनलैंड में चीनी कम्युनिस्ट पार्टी और कुओमितांग के बीच जंग छिड़ी थी.
साल 1940 में माओ त्से तुंग के नेतृत्व में कम्युनिस्टों ने कुओमितांग पार्टी को हरा दिया था और हार के बाद कुओमितांग के लोग ताइवान आ गए. उसी साल चीन का नाम ‘पीपुल्स रिपब्लिक ऑफ चाइना’ और ताइवान का ‘रिपब्लिक ऑफ चाइना’ पड़ा था. चीन ताइवान को अपना प्रांत मानता है और उसका मानना है कि एक दिन ताइवान उसका हिस्सा बन ही जाएगा. वहीं, ताइवान खुद को एक आजाद देश के रूप में बताता है. उसका अपना संविधान है और वहां चुनी हुई सरकार है, ताइवान चीन के दक्षिण पूर्व तट से करीब 100 मील दूर एक आइसलैंड है. चीन और ताइवान, दोनों ही एक-दूसरे को मान्यता नहीं देते हैं. अब तक दुनिया के सिर्फ 13 देश ही ताइवान को एक अलग संप्रभु और आजाद देश मानते हैं.
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