नई दिल्ली. शांति पुरस्कार 2018 का ऐलान हो चुका है जिसमें शांति नोबेल पुरस्कार (Nobel Peace Prize 2018) के लिए डेनिस मुकवेगे और नादिया मुराद को चुना गया है. इन दोनों ने यौन हिंसा के खिलाफ लंबी लड़ाई लड़ी है. ओस्लो में पांच सदस्यों की कमिटी ने आईएस के आंतक का शिकार हुई यजीदी रेप पीड़िता यानी नादिया मुराद को इस बड़े पुरस्कार के लिए चुना. नादिया मुराद ने महिलाओं के अधिकारों और यौन हिंसा के खिलाफ मुहीम चलाई. उत्तर ईराक के कोछू गांव में जन्मीं नादिया को 2014 में आईएस आंतकवादियों ने सेक्स स्लेव बनाया था.
जानिए कौन हैं नोबेल शांति पुरस्कार 2018 की विजेता इराक की नादिया मुराद
नादिया मुराद को 2014 में आईएस आंतकवादियों ने अगवा कर लिया था साथ ही उनके परिवार के 18 सदस्यों को मौत के घाट उतार दिया था. आंतकवादियों की यातना झेलने के बावजूद नादिया ने खूब संघर्ष किया और महिलाओं के लिए लंबी लड़ाई लड़ी. नादिया यजीदी समुदाय से आती हैं जिन्हें जिहादी से शादी करने के लिए यातनाएं दी गईं.
मीडिया रिपोर्ट्स के अनुसार तीन महीने के बुरे वक्त को काट कर नादिया मुराद ने एक संगठन की मदद से आजाद हुईं और जर्मनी पहुंची. जिसके बाद नादिया ने खुद पर हुए जुर्म और यौन शोषण के बारे में खुलकर लोगों को बताया. साथ ही आवर पीपुल्स फाइट संगठन की स्थापना की जिसके जरिए यौन शोषण के खिलाफ मुहीम चलाई. 2016 में, उन्हें मानव तस्करी द्वारा बचाए जाने वाले लोगों के संयुक्त राष्ट्र ने पहला गुडविल एंबेसडर के तौर पर चुना. नादिया द्वारा लिखी किताब द लास्ट गर्ल काफी चर्चित है.
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