नई दिल्ली: फिलिस्तीन और गाजा को लेकर सोमवार (नवंबर 11, 2024) को अरब इस्लामिक शिखर सम्मेलन आयोजित किया गया। सऊदी अरब के रियाद में सभी इस्लामिक देशों के शीर्ष नेताओं ने हिस्सा लिया. इस बैठक का उद्देश्य यह निर्धारित करना था कि अंतरराष्ट्रीय दबाव कैसे डाला जाए ताकि गाजा में चल रहे मानवीय संकट को […]
नई दिल्ली: फिलिस्तीन और गाजा को लेकर सोमवार (नवंबर 11, 2024) को अरब इस्लामिक शिखर सम्मेलन आयोजित किया गया। सऊदी अरब के रियाद में सभी इस्लामिक देशों के शीर्ष नेताओं ने हिस्सा लिया. इस बैठक का उद्देश्य यह निर्धारित करना था कि अंतरराष्ट्रीय दबाव कैसे डाला जाए ताकि गाजा में चल रहे मानवीय संकट को संबोधित किया जा सके, युद्ध को रोका जा सके और युद्ध विराम हासिल किया जा सके।
इस सम्मेलन में पाकिस्तान के प्रधानमंत्री शहबाज शरीफ भी शामिल हुए और उन्होंने भी गाजा के लिए आवाज उठाई, लेकिन इस्लामिक देशों ने पाकिस्तान को उसकी औकात बता दी. कॉन्फ्रेंस की एक तस्वीर सामने आई है, जिसमें सभी मुस्लिम देशों के नेता खड़े हैं और शाहबाज शरीफ उनके सबसे पीछे हैं. सिर्फ उसका सिर दिख रहा है. पाक विशेषज्ञ कमर चीमा ने कहा कि ऐसा करके मुस्लिम देशों ने दिखा दिया है कि उनकी नजर में पाकिस्तान की कीमत क्या है. उन्होंने कहा कि अन्य एशियाई देशों के नेता पहली पंक्ति में खड़े हैं क्योंकि अरब जगत उन्हें पाकिस्तान से अधिक शक्तिशाली मानता है.
अरब देशों को लगता है कि वो पाकिस्तान को पैसे देकर कभी भी बुला सकते हैं क्योंकि उसे हमेशा जरूरत रहती है. कमर चीमा ने कहा कि पाकिस्तानी बात करते हैं कि हम इतनी बड़ी परमाणु हथियार कंपनी हैं और अरब दुनिया को अक्सर हमारी जरूरत होती है, लेकिन उन्होंने हमें पीछे खड़ा कर दिया है. मुस्लिम देशों ने सोचा कि पाकिस्तान की क्या बिसात, हम पैसे देकर उसे अपनी मनमर्जी बुला सकते हैं. उसे 4, 5, 10 अरब डॉलर की जरूरत पड़ती रहती है. पाक विशेषज्ञ ने कहा, ‘यह सोचने वाली बात है कि हमारे प्रधानमंत्री को पीछे की पंक्ति में क्यों खड़ा किया गया. हम फिलिस्तीन के महान चैंपियन हैं।
अगर हम मान भी लें कि ये अरब-इस्लामिक समिट है तो भी अरब देशों को आगे रखा गया होगा, लेकिन देखिए, मालदीव के राष्ट्रपति मोहम्मद मुइज्जू पहली पंक्ति में हैं, तुर्की के राष्ट्रपति उनके साथ खड़े हैं और मध्य एशिया के नेता भी खड़े हैं. चलिए मान लेते हैं कि अरबों को पहली प्राथमिकता दी गई है. मजबूत को प्राथमिकता दी जाती है. यह अरब या गैर-अरब को नहीं दिया जाता है। कमर चीमा ने आगे कहा कि हम पिछले डेढ़ साल से फिलिस्तीन का मुद्दा उठा रहे हैं, लेकिन जब पाकिस्तान फिलिस्तीन के बारे में बहुत ज्यादा बात करता है तो अरबों को ये पसंद नहीं आता.
वह क्या कहते हैं, आप बार-बार फिलिस्तीन के बारे में बात करते रहते हैं। यह हमारा मसला है, हम इस पर गौर करेंगे.’ उन्होंने कहा, ‘पाकिस्तान को फिलिस्तीन पर एक सम्मेलन बुलाना चाहिए और फिर देखना चाहिए कि अरब जगत से कितने देश इसमें भाग लेते हैं. हो सकता है कि शहबाज शरीफ को लाइन में सबसे पीछे खड़ा करने की वजह यह बताई गई हो कि नेताओं को अल्फाबेट के हिसाब से खड़ा किया गया या जो जितनी जल्दी आ गए, उन्हें उस तरह से खड़ा किया गया.
दुबई में भी बैठक हुई और आख़िरकार शाहबाज़ शरीफ़ को खड़ा किया गया. ये सभी बातें बताती हैं कि आप कितने लायक हैं और ये इसी तरह बताया जाता है. कमर चीमा ने कहा कि अगर प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी को सम्मेलन में आमंत्रित किया गया होता तो मोहम्मद बिन सलमान उनके साथ खड़े होते क्योंकि उन्हें पता है कि नरेंद्र मोदी की मार्केट वैल्यू क्या है. भारत की जीडीपी 4 ट्रिलियन डॉलर है। इसका बाजार मूल्य यह है कि इसमें 600-700 अरब डॉलर की विदेशी मुद्रा पड़ी हुई है। वह जब चाहे अपना व्यापार कर सकता है। पाकिस्तान हर वक्त सिर्फ धार्मिक नारे लगाता रहता है.
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