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लोकतंत्र यहां मर रहा है… अब इस मुस्लिम देश के लोगों ने संसद का तोड़ा बाड़

नई दिल्ली: अभी कुछ दिनों पहले ही हमें बांग्लादेश में हिंसा देखने को मिली, जहां लोगों ने सड़कों पर उत्पात मचाया. वहीं अब एक और मुस्लिम देश से इसी तरह की खबर आ रही है. यहां भी लोकतंत्र खतरे में है. जी हां… इंडोनेशिया की राजधानी जकार्ता में उस समय भारी उथल-पुथल मच गई जब […]

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Democracy is dying here, now the people of this Muslim country broke the fence of the Parliament
  • August 24, 2024 10:11 am Asia/KolkataIST, Updated 4 months ago

नई दिल्ली: अभी कुछ दिनों पहले ही हमें बांग्लादेश में हिंसा देखने को मिली, जहां लोगों ने सड़कों पर उत्पात मचाया. वहीं अब एक और मुस्लिम देश से इसी तरह की खबर आ रही है. यहां भी लोकतंत्र खतरे में है. जी हां… इंडोनेशिया की राजधानी जकार्ता में उस समय भारी उथल-पुथल मच गई जब गुस्साए हुए प्रदर्शनकारियों ने चुनाव कानून प्रस्तावित बदलावों का विरोध किया और संसद का बाड़ तोड़ दिया.

 

संसद में घुस गए

 

बता दें कि यह बदलाव इसलिए किया जा रहा है, क्योंकि राष्ट्रपति जोको “जोकोवी” विडोडो की सत्ता पर पकड़ और मजबूत बन सके. वहीं उनके आलोचकों को रोकने के उद्देश्य से भी किया जा रहा है. प्रदर्शनकारी “जोकोवी लोकतंत्र को नष्ट कर रहे है नारे लगाते हुए संसद में घुस गए, जबकि पुलिस ने उन्हें रोकने की पूरी कोशिश की. यहां तक की पानी की बौछारों और आंसू गैस का इस्तेमाल किया गया.

 

मतदान होना था

 

एक जगह पर, प्रदर्शनकारियों को देखा गया कि  “लोकतंत्र यहाँ मर रहा है” लिखा हुआ बैनर भी उठा रखा था. यह विरोध प्रदर्शन उन बदलावों के खिलाफ किया जा रहा था,  जो राष्ट्रपति जोकोवी के बेटे के लिए राजनीतिक पद का रास्ता साफ कर सकते थे. इन बदलावों को लेकर संसद में मतदान होने जा रहा था, लेकिन पर्याप्त सांसदों की अनुपस्थिति के कारण इसे टाल दिया गया.यहां विरोध प्रदर्शन देशभर में फैल रहा हैं, जिससे इंडोनेशिया में लोकतंत्र को लेकर गंभीर सवाल उठाए जा रहे हैं. जकार्ता के अलावा पडांग, बांडुंग और योग्याकार्ता जैसे अन्य शहरों में भी पुलिस और प्रदर्शनकारियों के बीच झड़प देखने को मिली.

 

मजबूर किया गया

 

इस पूरे विवाद के पीछे का केंद्र संवैधानिक न्यायालय का फैसला है, जिसने उम्मीदवारों की पात्रता के नियमों में बदलाव किया था. संसद, जिसमें राष्ट्रपति के समर्थकों का वर्चस्व है, इस फैसले को पलटने की कोशिश की, जिसकी वजह से  राजनीतिक संकट की स्थिति पैदा हो गई. विशेषज्ञों का कहना है कि यदि संसद अपने प्रयास में सफल हो जाती है, तो यह बदलाव सरकार के प्रमुख आलोचकों को राजनीतिक प्रक्रिया से बाहर कर सकता है. साथ ही साथ जोकोवी के बेटे को चुनाव लड़ने का रास्ता भी साफ हो सकता है.  हालांकि प्रदर्शनकारियों का कहना है कि उन्हें इस फैसले के खिलाफ सड़कों पर उतरने के लिए मजबूर किया गया हैं, क्योंकि उन्हें लगता है कि यह लोकतंत्र और उनके अधिकारों पर सीधा हमला है.

 

 

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