पीएम का यह दौरा इसलिए भी अहम हो जाता है कि चीन गुयाना में अपनी मौजूदगी बढ़ा रहा है। छोटा सा देश गुयाना तेल और प्राकृतिक संसाधनों से समृद्ध है। ऐसे में चीन यहां पर अपनी सैन्य, आर्थिक और बुनियादी ढांचे को मजबूत करने में लगा हुआ है।
नई दिल्ली। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी अपने तीन देशों की यात्रा में बुधवार को कैरेबियाई देश गुयाना पहुंचे। यह यात्रा बेहद खास रही क्योंकि 56 सालों में ऐसा पहली बार हुआ जब किसी भारतीय पीएम ने गुयाना की यात्रा की है। प्रधानमंत्री मोदी जब राजधानी जॉर्जटाउन पहुंचें तो एयरपोर्ट पर उन्हें रिसीव करने के लिए राष्ट्रपति इरफान अली, प्रधानमंत्री और 12 से अधिक कैबिनेट मंत्री पहुंचें हुए थे। मोदी का ऐसा स्वागत देखकर दुनिया हैरान रह गई।
बता दें कि पीएम मोदी 21 नवंबर तक यहीं रहेंगे। विदेश मंत्रालय के मुताबिक यहां पर भारतीय मूल के 3,20,000 लोग रहते हैं। पीएम का यह दौरा इसलिए भी अहम हो जाता है कि चीन गुयाना में अपनी मौजूदगी बढ़ा रहा है। छोटा सा देश गुयाना तेल और प्राकृतिक संसाधनों से समृद्ध है। ऐसे में चीन यहां पर अपनी सैन्य, आर्थिक और बुनियादी ढांचे को मजबूत करने में लगा हुआ है। 2017 के बाद चीन ने यहां पर अपनी उपस्थिति तेजी से बधाई है। गुयाना चीन के खेल में फंसा हुआ है। उसको व्यापार में अभी फायदा हो रहा है।
चीनी कंपनियों ने यहां पर आर्थर चुंग कॉन्फ्रेंस सेंटर, चेड्डी जगन इंटरनेशनल एयरपोर्ट ईस्ट बैंक डेमेरारा हाईवे जैसी कई महत्वपूर्ण परियोजनाओं में निवेश किया है। सैन्य संबंधों को मजबूत करने के लिए चीन ने गुयाना को वाई-12 गश्ती विमान समेत कई अन्य उपकरण भी दिए हैं। भारत गुयाना के तेजी से बढ़ते उद्योग में हिस्सेदार बनने के लिए तैयार है। पीएम मोदी अपनी यात्रा से चीन के विस्तारवादी सपने को चूर-चूर कर सकते हैं। गुयाना और भारत एक दूसरे के साथ गहरे सांस्कृतिक और ऐतिहासिक संबंध को साझा करते हैं। 1838 में भारत के गिरमिटिया मजदूर यहां आए थे। चीन इस बात से परेशान है कि अपने सांस्कृतिक और ऐतिहासिक संबंध से मोदी ड्रैगन का सपना चकनाचूर न कर दे।
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