नई दिल्ली। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी रूस के कजान में आयोजित 16वें ब्रिक्स सम्मेलन से लौट आए हैं। ब्रिक्स समिट के दौरान उन्होंने दुनिया को शांति का संदेश दिया और स्पष्ट शब्दों में कहा कि भारत युद्ध का नहीं बल्कि डायलॉग और डिप्लोमेसी का समर्थक है। सबसे मजेदार तो ये रहा कि उन्होंने बगल में बैठे चीनी राष्ट्रपति के सामने उसके सदाबहार दोस्त पाकिस्तान को आतंकवाद पर अच्छे से धो दिया। चीनी राष्ट्रपति शी जिनपिंग और अपने जिगरी दोस्त पुतिन के सामने बिना पाकिस्तान का नाम लिए इशारों में ही उसे आतंकवाद पर समझा दिया।
पीएम ने कहा कि आतंकवाद और कट्टरपंथ के मुद्दे पर दोहरा मापदंड नहीं अपनाया जा सकता। आतंकवाद और इसके वित्तपोषण का मुकाबला हम सबको एकजुट और दृढ़ समर्थन के साथ करना चाहिए। पीएम ने कड़े शब्दों में ये भी कहा कि युवाओं के कट्टरपंथ को रोकने के लिए सभी को सक्रिय कदम उठाने की जरूरत है। अंतरराष्ट्रीय आतंकवाद पर व्यापक सम्मेलन हो। UN में लंबे समय से लंबित मामले पर सब मिलकर काम करें।
पीएम मोदी ने आतंकवाद पर ये बातें रूसी राष्ट्रपति व्लादिमीर पुतिन, चीन के राष्ट्रपति शी जिनपिंग और ईरानी राष्ट्रपति मसूद पेजेशकियन के सामने कही। पीएम मोदी ने इशारों में ही चीन को दोहरा मापदंड अपनाने पर आइना दिखा दिया। दरअसल चीन पाकिस्तानी आतंकवादियों को सूचीबद्ध करने संबंधी कई प्रस्तावों पर संयुक्त राष्ट्र में पीछे हट जाता है। इंटरनेशनल मंचों पर हमेशा आतंकवाद के खिलाफ जब भी भारत कदम उठाता है तो चीन वीटो पावर का इस्तेमाल करके उसमें अड़ंगा डाल देता है।
बेबस और लाचार जिनपिंग या कोई मजबूरी, आखिर भारत के सामने ड्रैगन ने क्यों टेके घुटने?
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