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Mars: मंगल ग्रह पर दशकों से खर्च हुई भारी रकम, पृथ्वी बनते नहीं लगेगी देर

नई दिल्ली: मंगल ग्रह प्राचीन काल से ही एक मिथक की तरह आकर्षण का केंद्र और मानवीय प्रेरणा रहा है। बता दें कि अंतरिक्ष वैज्ञानिकों के लिए यह रिसर्च काफी दिलचस्प विषय भी रहा है। इसके अलावा परग्रही जीवन की खोज का वैध उम्मीदवार भी। वहीं, 1960 के दशक से ही मंगल अंतरिक्ष अभियानों का एक लोकप्रिय गंतव्य रहा है। दरअसल, अब पहली बार नासा ने निजी क्षेत्र से वाणिज्यिक मंगल मिशन पर प्रस्ताव आमंत्रित किए हैं। बता दें कि इन मशिनों में लाल ग्रह पर विभिन्न पेलोड ले जाने से लेकर संचार सेवाएं प्रदान करने की भी बात हुई है। हालांकि, अंतरिक्ष यात्रियों को वहां भेजने पर अब तक कोई बात नहीं हुई है। लेकिन क्या सच में लोग मंगल ग्रह पर जाना चाहते हैं? इसके अलावा सवाल यह भी है कि लोगों को मंगल की धरती पर उतारने का सबसे अच्छा तरीका(Mars) क्या होता है? इस दौरान सबसे अहम सवाल यह भी उठता है कि क्या हमें ऐसा करना चाहिए?

दशकों से खर्च हो रही है भारी रकम

मालूम हो कि साल 1960 के बाद से मंगल ग्रह पर अब तक(Mars) करीब 50 मिशन भेजे जा चुके हैं, इनमें से 31 कामयाब रहे हैं। इस दौरान साल 2016 में शिआपरेल्ली लैंडर की दुर्घटना जैसी विफलताएं भी मिली हैं। वहीं, वायुमंडल, कक्षा और भूविज्ञान के अलावा यहां की सतह से दरवाजों और चेहरे जैसी अद्भुत छवियां भी दिखी हैं। लेकिन वैज्ञानिक इन सभी छवियों को चट्टानें ही बता रहे हैं। बता दें कि एक सामान्य अंतरग्रहीय अंतरिक्ष मिशन की लागत करीब एक अरब अमेरिकी डॉलर होती है। इसका मतलब है कि पिछले कुछ वर्षों में दुनिया की तमाम अंतरिक्ष एजेंसियों ने मंगल ग्रह पर करीब 50 अरब अमेरिकी डॉलर खर्च किए हैं, जो कि केवल कैमरे, रोवर्स और लैंडर्स भेजने के लिए हैं। इस दौरान लोगों को वहां भेजना तो अगले स्तर की बात होगी। गौरतलब है कि दशकों से नासा और दूसरी अंतरिक्ष एजेंसियों ने अंतरिक्ष मिशनों पर भारी रकम खर्च की है।

तेजी से विकसित हो रही हैं तकनीक

हालांकि, साल 2020 में अंतरिक्ष क्षेत्र में अन्वेषण को समृद्ध बनाने वाली तकनीकें वाणिज्यिक दुनिया में तेजी से विकसित हो रही हैं। जैसे कि एलन मस्क का स्पेस एक्स, जिसके की कई उद्देश्यों में से एक है मंगल मिशन और अंतिम लक्ष्य है मानवता को अंतरग्रही बनाना। अमेरिका में अंतरिक्ष तक पहुंचने वाले वाणिज्यिक प्रदाताओं का उद्योग काफी तेजी से बढ़ रहा है। ऐसा नहीं है कि नासा अपनी परियोजनाओं को बंद कर रहा है। वह सिर्फ वाणिज्यिक प्रदाताओं को जोड़ने की दिशा में आगे बढ़ रहा है। करीब 20 साल पहले की तुलना में चीजें जिस तरह से बदली हैं, जिसको देखते हुए, यह कदम अपरिहार्य भी लग रहा था। इस दौरान महंगे अंतरिक्ष मिशनों को सस्ता और ज्यादा कुशल बनाने के लिए भी ऐसी पहलें जरूरी थीं। वहीं वाणिज्यिक क्षेत्र की कंपनियों को भी इससे प्रोत्साहन मिला है, जो कि अंतरिक्ष मिशनों को पूरा करने के लिए लगातार प्रवर्तन कर रही हैं।

साल 2010 शुरू हुई थी पहल

जानकारी दे दें कि करीब 100 साल पहले एचजी वेल्स ने अपनी किताब द वार ऑफ वर्ड्स में भी बताया था कि मंगल ग्रह आधुनिक मानस में एक रहस्यपूर्ण और खतरे के स्थान के तौर पर देखा जाता है। हालांकि इस पर कई फिल्में और टीवी शो भी बन चुके हैं। लेकिन सवाल यह है कि क्या मनुष्य को मंगल ग्रह की यात्रा करनी चाहिए? मस्क जरूर ऐसा करना चाहते हैं। साल 2010 में नीदरलैंड के एक स्टार्ट-अप मार्स-वन ने इस मामले में जरूर पहल की थी।

मंगल ग्रह पर बसने की इच्छा रखते हैं

दरअसल, मंगल ग्रह की यात्रा के इच्छुक 100 स्वयंसेवियों का इस स्टार्ट-अप ने चयन किया और साल 2019 में दिवालिया होने के पहले लाखों डॉलर कमा लिए। इससे यह पता चलता है कि समाज का एक ऐसा समृद्ध तबका है, जो मंगल ग्रह पर बसने की इच्छा भी रखता है। वहीं कुछ लोग तर्क दे सकते हैं कि दूसरे ग्रह को बिगाड़ने की जगह पहले अपने ग्रह को सुधारने की जरूरत है।

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Janhvi Srivastav

मैं जान्हवी श्रीवास्तव, मैंने अपना ग्रेजुएशन दिल्ली यूनिवर्सिटी और मास्टर्स माखनलाल यूनिवर्सिटी भोपाल से किया है। मुझे प्रिंट और सोशल मीडिया का अनुभव है, अभी मैं इंडिया न्यूज़ के डिजिटल प्लेटफार्म "इनखबर" में कंटेंट राइटर की पोस्ट पर हूं।

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