पृथ्वी बनते मंगल ग्रह को अब देर नहीं, भौतिकवादी रास्ते बनेंगे चिंता का कारण

नई दिल्ली: मंगल ग्रह प्राचीन काल से ही मानव प्रेरणा और आकर्षण का केंद्र रहा है. हालांकि 1960 के बाद से मंगल ग्रह पर लगभग 50 मिशन भेजे जा चुके हैं, जिनमें से 31 सफल रहे, और जो एक अच्छा संकेतक भी रहा है, और कुछ विफलताएँ भी हुई हैं, जैसे 2016 में शिआपरेल्ली लैंडर […]

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पृथ्वी बनते मंगल ग्रह को अब देर नहीं, भौतिकवादी रास्ते बनेंगे चिंता का कारण

Shiwani Mishra

  • February 9, 2024 9:28 am Asia/KolkataIST, Updated 10 months ago

नई दिल्ली: मंगल ग्रह प्राचीन काल से ही मानव प्रेरणा और आकर्षण का केंद्र रहा है. हालांकि 1960 के बाद से मंगल ग्रह पर लगभग 50 मिशन भेजे जा चुके हैं, जिनमें से 31 सफल रहे, और जो एक अच्छा संकेतक भी रहा है, और कुछ विफलताएँ भी हुई हैं, जैसे 2016 में शिआपरेल्ली लैंडर की विफलता मिला. साथ ही इसमें कोई संदेह नहीं है कि इन मिशनों ने मंगल ग्रह के बारे में बहुत सारी जानकारी प्रदान ना की हो. हालांकि इसके वायुमंडल, कक्षा और भूविज्ञान के साथ इसकी सतह पर दरवाजे और चेहरे जैसी अद्भुत छवियां भी प्रदर्शित हुई हैं.एनिमेटेड मानचित्र: मंगल ग्रह पर पानी कहाँ मिलेगा

वैज्ञानिक इन सभी छवियों को केवल चट्टानें कहते हैं, लेकिन इस ग्रह में आम लोगों की बढ़ती रुचि से पता चलता है कि वो हमारी कल्पना में कितनी बार दिखाई देती हैं, और एक सामान्य अंतरग्रहीय अंतरिक्ष मिशन की लागत लगभग 1 बिलियन डॉलर होती है. इसका मतलब ये है कि दुनिया की सभी अंतरिक्ष एजेंसियों ने हाल के सालों में मंगल ग्रह पर कैमरे, रोवर और लैंडर भेजने पर लगभग 50 अरब डॉलर खर्च किए हैं. वहां लोगों को भेजना अगले स्तर की समस्या होगी. दशकों से, नासा और अन्य अंतरिक्ष एजेंसियों ने अंतरिक्ष अभियानों पर भारी मात्रा में पैसा खर्च किया है.

पृथ्वी बनते मंगल ग्रह को अब देर नहीं

बता दें कि 2020 के दशक में अंतरिक्ष क्षेत्र में समृद्ध बनाने वाली तकनीकें वाणिज्यिक दुनिया में बहुत तेजी से विकसित हो रही हैं, और इसका एक उदाहरण एलन मस्क का स्पेस एक्स है, जहां नासा की नज़र इन अंतरिक्ष परियोजनाओं को लेकर रूढ़िवादी आ रहा है. साथ ही स्पेस एक्स बहुत सारे बदलाव तेजी से करता है और इनकी अपनी विफलताओं से जल्दी सीख भी रहा है. स्पेस एक्स बिलकुल भी अकेला नहीं है. दरअसल ऐसा नहीं है कि नासा अपनी योजनाओं को बंद कर रहा है,Mars will be the closest to Earth for the first time in 15 years | इस दिन  पृथ्‍वी के सबसे नजदीक आ जाएगा मंगल ग्रह, रात में देख सकेंगे 'अद्भुत नजारा'

बल्कि खास रूप से संयुक्त राज्य अमेरिका में नासा इस प्रोजेक्ट को पूरा नहीं करेगा,और हम वाणिज्यिक प्रदाता जोड़ रहे हैं. हालांकि 20 साल पहले की तुलना में बदली हुई स्थिति को देखते हुए ये कदम अपरिहार्य लग रहा था कि महंगे अंतरिक्ष अभियानों को सस्ता और ज्यादा कुशल बनाने के लिए भी ऐसे प्रयास बहुत जरुरी है. ये वाणिज्यिक क्षेत्र की कंपनियों को अंतरिक्ष मिशनों को साकार करने के लिए लगातार नए विचार करने के लिए प्रोत्साहित करता है. साथ ही ये अभी भी शुरुआती चरण में है और वाणिज्यिक दृष्टिकोण अभी तक बिल्कुल भी सिद्ध नहीं हुआ है.

भौतिकवादी तरीकों से उठीं कुछ आशंकाएं

दरअसल एच.जी. वेल्स ने लगभग एक सदी पहले अपने उपन्यास वॉर ऑफ द वर्ल्ड्स में वर्णित किया है कि आधुनिक मानस में मंगल ग्रह को एक रहस्यमय और खतरनाक स्थान माना जा रहा है. बता दें कि इसे लेकर बहुत से फिल्में और टेलीविजन शो भी बन चुके हैं, और बहुत कुछ पहले ही लिखा भी जा चुका है. हालांकि सवाल अब भी बना हुआ है कि क्या इंसानों को मंगल ग्रह पर जाना चाहिए या फिर मस्क निश्चित रूप से ऐसा करना चाहते हैंचंद्रमा और मंगल ग्रह पर निर्माण? उसके लिए आपको अलौकिक सीमेंट की आवश्यकता  होगी

कि 2010 के दशक में नीदरलैंड के एक स्टार्टअप मार्स-वन ने इस मामले में पहल की थी कि स्टार्टअप ने मंगल ग्रह की यात्रा के लिए 100 मील स्वयंसेवकों की भर्ती कराई और 2019 में दिवालिया होने के पहले लाखों डॉलर कमा लिए थे. बता दें कि इससे ये पता चलता है कि समाज का एक समृद्ध वर्ग है जो मंगल ग्रह पर भी रहना चाहता है, और कुछ लोग ये तर्क दे रहे हैं कि हमें पहले अपने ग्रह को सुधारना चाहिए, ना कि अन्य दूसरें ग्रहों को नष्ट करना चाहिए.

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