Mark Zuckerberg China Connection: मेटा विश्व की प्रमुख टेक्नोलॉजी कंपनी और इसके सीईओ मार्क जुकरबर्ग एक बार फिर सुर्खियों में हैं. कंपनी की पूर्व ग्लोबल पब्लिक पॉलिसी डायरेक्टर सारा विन-विलियम्स ने मेटा पर चीन की कम्युनिस्ट पार्टी (सीसीपी) के साथ मिलकर सेंसरशिप सिस्टम विकसित करने का सनसनीखेज आरोप लगाया है. इन दावों ने टेक जगत में हलचल मचा दी है.
मेटा पर चीन के साथ गुप्त सहयोग का आरोप
सारा विन-विलियम्स जिन्होंने 2011 से 2017 तक मेटा में महत्वपूर्ण भूमिका निभाई. उन्होनें हाल ही में अमेरिकी सीनेट की सुनवाई में चौंकाने वाले खुलासे किए. उन्होंने कहा ‘मैंने मेटा के अधिकारियों को चीनी सरकार को मेटा यूजर्स के डेटा का एक्सेस देने का फैसला करते हुए देखा.’ उनके अनुसार मेटा ने चीन में 18 अरब डॉलर का कारोबार स्थापित करने के लिए सीसीपी के साथ मिलकर एक सेंसरशिप सिस्टम बनाया. जिसका उद्देश्य आलोचकों की आवाज को दबाना था. विलियम्स ने यह भी दावा किया कि कंपनी ने कर्मचारियों, शेयरधारकों और अमेरिकी जनता से अपने चीन संबंधों के बारे में झूठ बोला.
जुकरबर्ग की व्यक्तिगत रुचि और सेंसरशिप
विलियम्स ने मार्क जुकरबर्ग पर भी निशाना साधा. उन्होंने कहा ‘मार्क जुकरबर्ग ने खुद को अभिव्यक्ति की स्वतंत्रता का चैंपियन बताया था लेकिन उन्होंने आलोचकों को चुप कराने के लिए कस्टम-बिल्ट सेंसरशिप टूल्स बनाने और उनका टेस्ट करने के लिए चीनी कम्युनिस्ट पार्टी के साथ हाथ मिलाया.’ इसके अलावा एक हैरान करने वाला दावा यह था कि जुकरबर्ग मंदारिन सीख रहे थे और चाहते थे कि चीनी राष्ट्रपति शी जिनपिंग उनके पहले बच्चे का नाम रखें. विलियम्स ने तंज कसते हुए कहा ‘हमें नहीं पता कि उनका अगला रूप क्या होगा लेकिन यह कुछ अलग होगा. वह वही करेंगे जो उन्हें सत्ता के सबसे करीब ले जाएगा.’
मेटा का जवाब
मेटा ने इन आरोपों का कड़ा खंडन किया है. कंपनी के प्रवक्ता एंडी स्टोन ने कहा ‘विलियम्स की गवाही वास्तविकता से परे और झूठे दावों से भरी हुई है.’ उन्होंने स्पष्ट किया कि मेटा वर्तमान में चीन में अपनी सेवाएं नहीं देता हालांकि जुकरबर्ग ने एक दशक पहले वहां कारोबार करने की रुचि जताई थी.
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