मालदीव के राष्ट्रपति ने देश में आपातकाल की घोषणा कर दी है. सुप्रीम कोर्ट ने विपक्षी नेताओं के एक समूह की रिहाई का आदेश दिया था, लेकिन राष्ट्रपति यामीन ने इसे मानने से इंकार कर दिया था जिसके बाद से हालात गंभीर हैं.
माले. मालदीव में राष्ट्रपति अब्दुल्ला यामीन ने सोमवार शाम को आपातकाल की घोषणा कर दी है. ये घोषणा 15 दिन के लिए की गई है. दरअसल सुप्रीम कोर्ट ने विपक्षी नेताओं के एक समूह की रिहाई का आदेश दिया था, लेकिन राष्ट्रपति यामीन ने इसे मानने से इंकार कर दिया था. उनका कहना था कि इस आदेश से कोर्ट ने अपने अधिकारों की सीमा रेखा को लांघा है. यामीन ने कोर्ट को लिख एक पत्र में कहा है कि ‘सुप्रीम कोर्ट के आदेश ने सरकार की शक्तियों का अतिक्रमण किया और यह राष्ट्रीय सुरक्षा और जनहित का उल्लंघन है. अब्दुल्ला यामीन ने अदालत से सरकार की इन चिंताओं पर पुनर्विचार करने का अनुरोध किया.’ मालदीव में इमरजेंसी के ऐलान के बाद भारत ने अपने नागरिकों के लिए ट्रेवल एडवायजरी जारी की है. जिसमें मालदीव जाने से बचने को कहा गया है.
इससे ठीक पहले कानून मंत्री अजीमा शकूर ने कहा थी कि ‘सरकार यह नहीं मानती है कि राजनीतिक बंदियों को रिहा करने के सर्वोच्च न्यायालय के आदेश को लागू किया जा सकता है’. बता दें कि पिछले हफ्ते सुप्रीम कोर्ट ने आदेश दिया था कि विरोधी नेताओं को दोषी ठहराने वाले फैसले राजनीति रूप से प्रेरित हैं. दूसरी ओर मामले में अमेरिका सहित कई देशों और संयुक्त राष्ट्र ने मालदीव की सरकार से कहा है कि वह न्यायालय के आदेश का सम्मान करे.
कोर्ट के फैसले के बाद से विपक्ष के समर्थकों ने विरोध प्रदर्शन किया और सरकार से आदेश को मानने का आग्रह किया. जिसके बाद गुरुवार को प्रदर्शनकारी पुलिस से भी भिड़ गए. उनका कहना था कि लोकतंत्र के लिए बड़ा खतरा है. बता दें कि मामले के बाद से फिलहाल चीफ जस्टिस व अन्य जजों ने सुप्रीम कोर्ट में ही शरण ले रखी है और रात में वहीं रह रहे हैं.
https://www.youtube.com/watch?v=nD4Ny4ZjOCI