कनाडा में महाराजा रणजीत सिंह की प्रतिमा के साथ छेड़छाड़, फिलिस्तीन का लहराया झंडा

नई दिल्ली: कनाडा के ब्रैंपटन से एक वीडियो सोशल मीडिया पर तेजी से वायरल हो रहा है, जिसमें कुछ लोग महाराजा रणजीत सिंह की प्रतिमा के साथ छेड़छाड़ करते दिखाई दे रहे हैं। मीडिया रिपोर्ट्स के मुताबिक यह घटना फिलिस्तीनी समर्थक उपद्रवियों द्वारा अंजाम दी गई, जिन्होंने महाराजा रणजीत सिंह की मूर्ति पर फिलिस्तीन का […]

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कनाडा में महाराजा रणजीत सिंह की प्रतिमा के साथ छेड़छाड़, फिलिस्तीन का लहराया झंडा

Yashika Jandwani

  • September 29, 2024 12:23 am Asia/KolkataIST, Updated 2 months ago

नई दिल्ली: कनाडा के ब्रैंपटन से एक वीडियो सोशल मीडिया पर तेजी से वायरल हो रहा है, जिसमें कुछ लोग महाराजा रणजीत सिंह की प्रतिमा के साथ छेड़छाड़ करते दिखाई दे रहे हैं। मीडिया रिपोर्ट्स के मुताबिक यह घटना फिलिस्तीनी समर्थक उपद्रवियों द्वारा अंजाम दी गई, जिन्होंने महाराजा रणजीत सिंह की मूर्ति पर फिलिस्तीन का झंडा लगा दिया।

महाराजा रणजीत सिंह

इस घटना का वीडियो इंटरनेट पर चर्चा का विषय बना हुआ है। वायरल वीडियो में देखा जा सकता है कि दो व्यक्ति मूर्ति पर चढ़कर महाराजा रणजीत सिंह के घोड़े पर फिलिस्तीन का झंडा लगा रहे हैं। दोनों ने अपने चेहरे ढंके हुए हैं और उनके आसपास कुछ लोग खड़े नजर आ रहे हैं। एक अन्य व्यक्ति मूर्ति के घोड़े पर कपड़ा बांधते हुए दिखाई दे रहा है। वहीं इस घटनाक्रम को कई लोगों ने अपने मोबाइल फोन पर रिकॉर्ड कर लिया और वीडियो को सोशल मीडिया पर साझा किया, जिससे यह मामला व्यापक चर्चा में आ गया। कनाडा के पील क्षेत्र की पुलिस को इस घटना की शिकायत दी गई है और पुलिस द्वारा मामले की जांच की जा रही है। हालांकि अभी तक इस घटना पर पुलिस की तरफ से कोई आधिकारिक बयान जारी नहीं किया गया है।

कौन थे महाराजा रणजीत सिंह

महाराजा रणजीत सिंह सिख इतिहास के एक प्रमुख व्यक्तित्व थे, जिनका जन्म 13 नवंबर 1780 को पंजाब के गुजरांवाला में हुआ था। उन्होंने मात्र 10 साल की उम्र में अपना पहला युद्ध लड़ा और 12 साल की उम्र में अपने पिता की मृत्यु के बाद राज्य की बागडोर संभाली। बता दें, 18 साल की उम्र में उन्होंने लाहौर पर विजय प्राप्त की और अगले 40 वर्षों तक अपने शासनकाल में अंग्रेजों को अपने साम्राज्य से दूर रखा।

महाराजा रणजीत सिंह की ताजपोशी 12 अप्रैल 1801 को हुई थी, जब वे 20 वर्ष के थे। इसके बाद उन्होंने 1802 में अमृतसर और 1807 में अफगानी शासक कुतुबुद्दीन को हराकर कसूर को अपने साम्राज्य में शामिल किया। 1818 में मुल्तान और 1819 में कश्मीर पर विजय हासिल की। महाराजा रणजीत सिंह का निधन 27 जून 1839 को हुआ था।

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