नई दिल्ली। एलएनजी आयात को लेकर खबर सामने आई है। जिसके अनुसार भारत, कतर से वर्तमान कीमतों से कम दरों पर 2048 तक एलएनजी आयात(LNG Import) बढ़ाने के लिए 78 अरब डॉलर के समझौते पर हस्ताक्षर कर सकता है। दरअसल, इस बात की जानकारी, सूत्रों के हवाले से मिली है। जिसमें बताया गया है कि […]
नई दिल्ली। एलएनजी आयात को लेकर खबर सामने आई है। जिसके अनुसार भारत, कतर से वर्तमान कीमतों से कम दरों पर 2048 तक एलएनजी आयात(LNG Import) बढ़ाने के लिए 78 अरब डॉलर के समझौते पर हस्ताक्षर कर सकता है। दरअसल, इस बात की जानकारी, सूत्रों के हवाले से मिली है। जिसमें बताया गया है कि पेट्रोनेट एलएनजी लिमिटेड गोवा में भारत ऊर्जा सप्ताह (आईईडब्ल्यू) के मौके पर हर साल 75 लाख टन के आयात को बढ़ाने के लिए कतर एनर्जी के साथ समझौते पर हस्ताक्षर करेगी।
बता दें कि कतर के ऊर्जा मंत्री और कतर एनर्जी के शीर्ष अधिकारी यहां आईईडब्ल्यू में हिस्सा ले रहे हैं। सूत्रों के अनुसार, इसमें कीमतें मौजूदा कीमत से बेहद कम होंगी। इतना ही नहीं, सूत्रों का कहना है कि पेट्रोनेट वर्तमान में दो अनुबंधों के तहत कतर से हर साल 85 लाख टन एलएनजी (तरल प्राकृतिक गैस) आयात(LNG Import) करता है। जिसमें पहला 25-वर्षीय समझौता 2028 में समाप्त होना है और अब इसे 20 अतिरिक्त वर्षों के लिए बढ़ाया जाएगा है। जबकि, 10 लाख टन प्रति वर्ष का दूसरा समझौता 2015 में किया गया था, जिसपर अलग से बातचीत की जाएगी।
गौरतलब है कि भारत देश, विश्व में तीसरा सबसे बड़ा प्राथमिक ऊर्जा उपभोक्ता है। जो कि, 2070 तक ‘नेट जीरो’ कार्बन उत्सर्जन के लक्ष्य से प्राकृतिक गैस को एक बदलाव के लिए उपयुक्त ईंधन के रूप में देखता है। यहां ‘नेट जीरो’ का मतलब है कि, कोई देश वातावरण में कार्बन आधारित ग्रीनहाउस गैसों का जितना उत्सर्जन कर रहा है, उतना ही उसे सोख और हटा भी रहा है।
इसका अर्थ है कि उसकी तरफ से वातावरण में ग्रीन हाउस गैसों का योगदान न के बराबर है। जिसे लेकर सूत्रों ने बताया कि इस नए समझौते से भारतीय खरीदारों को यह तय करने की अनुमति मिलेगी कि भारत में किस टर्मिनल पर आपूर्ति की जाए। वहीं मौजूदा समझौते के मुताबिक, कतर गुजरात के दहेज में एलएनजी की आपूर्ति करता है।
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