नई दिल्ली: भारतीय मूल की अंतरिक्ष यात्री सुनीता विलियम्स की सुरक्षित वापसी के लिए NASA कोई भी गलती नहीं करना चाहता है। NASA ने सुनीता और उनके साथी को अगले साल फरवरी में धरती पर वापस लाने की योजना बनाई है, लेकिन उनके लौटने में लगातार देरी की जा रही है। इसका मुख्य कारण NASA की पहले की घटनाओं से मिली सीख है, जिनमें कई अंतरिक्ष यात्रियों की मौत हो गई थी।
भारतीय मूल की अमेरिकी अंतरिक्ष यात्री कल्पना चावला और उनके छह साथियों की मौत 1 फरवरी 2003 को हुई थी, जब उनका अंतरिक्ष शटल कोलंबिया पृथ्वी के वातावरण में प्रवेश करते समय टूटकर जल गया था। यह NASA के लिए एक बड़ा झटका था। इससे पहले 28 जनवरी 1986 को भी एक ऐसा ही हादसा हुआ था, जिसमें पूरे चालक दल की विस्फोट में मौत हो गई थी। इन दो दुर्घटनाओं में कुल 14 अंतरिक्ष यात्रियों ने अपनी जान गंवाई थी।
NASA के प्रमुख बिल नेल्सन ने स्वीकार किया कि इन दो दुर्घटनाओं ने अंतरिक्ष यात्रियों की सुरक्षा को लेकर उनकी सोच को पूरी तरह बदल दिया है। नेल्सन, जो खुद भी एक अंतरिक्ष यात्री रहे हैं, ने बताया कि पहले NASA की संस्कृति ऐसी थी कि जूनियर फ्लाइट इंजीनियरों की ओर से दी गई जोखिमों की चेतावनियों को नजरअंदाज कर दिया जाता था। अब NASA में हर किसी को अपने विचार और चिंताएं खुलकर रखने के लिए प्रोत्साहित किया जाता है।
कल्पना चावला के हादसे के बाद से NASA अब किसी भी तरह की चूक नहीं होने देना चाहता। इसी को ध्यान में रखते हुए, सुनीता विलियम्स और बुच विलमोर की वापसी के लिए NASA ने फरवरी 2025 का समय निर्धारित किया है। इंजीनियरों ने मौजूदा हालात और अंतरिक्ष यान की उड़ान में संभावित जोखिमों का पूरा मूल्यांकन किया है, और सभी ने एकमत से यान बदलने का फैसला लिया है, ताकि सुनीता विलियम्स की वापसी पूरी तरह से सुरक्षित हो सके।
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