वेनेजुएला के आर्थिक हालात आज किसी से छिपे नहीं हैं. खाद्य वस्तुओं के लिए यहां लोगों को लाखों-करोड़ों खर्च करने पड़ रहे हैं. वहीं जूता सिलवाने के लिए करीब 4 लाख रुपये का खर्च आ रहा है. वेनेजुएला में कैसे आया ये आर्थिक संकट जहां महंगाई ने सारे रिकॉर्ड तोड़ दिए, पढ़िए इस खबर में...
काराकसः वेनेजुएला के आर्थिक हालत की बात आज किसी से छिपी नहीं है. हालात इतने बिगड़ चुके हैं कि लोग वेनेजुएला छोड़ उसकी सीमा से सटे कोलंबिया में शरण लेने को विवश हैं. आज आलम यह है कि यहां लोगों को जूता सिलवाने के लिए 20 अरब बोलिवर (करीब 4 लाख रुपये) तक खर्च करने पड़ रहे हैं. दूध औऱ दूसरी खाद्य वस्तुओं के लिए लोगों को लाखों खर्च करने पड़ रहे हैं. ऐसे में बड़ा सवाल है कि आखिर क्यों वेनेजुएला को ऐसे भयानक आर्थिक संकट का सामना करना पड़ रहा है? और हालात इतने ज्यादा कैसे बिगड़ गए. हालत यह है कि .हां महंगाई दल लाख फीसदी तक बढ़ गई है.
ये है कारण
वेनेजुएला एक ऐसा देश है जहां बड़ी मात्रा में कच्चा तेल पाया जाता है और यहीं दुनिया का सबसे बड़ा ऑयल रिजर्व है. लेकिन वेनेजुएला से होने वाली कमाई ही इस देश के आर्थिक संकट का भी बड़ा कारण है जिससे आज ये देश परेशानी का सामना कर रहा है. बता दें कि वेनेजुएला का करीब 96 फीसदी राजस्व तेल के आयात से होता है. इसे ऐसे समझें कि जब तेल के दाम उच्चतम स्तर पर थे कि देश में आर्थिक संकट जैसा कुछ नहीं था और यहां पैसों की कोई कमी नहीं थी. लेकिन चार साल पहले यानी वर्ष 2014 में कच्चे तेल के दामों में गिरावट शुरू हुई जिसने आज भयानक आर्थिक संकट का रूप ले लिया. जिससे यहां की अर्थव्यवस्था को एक बड़ा झटका लगा.
अब आप यह सोच रहे होंगे कि कच्चे तेल पर निर्भरता ही यहां के आर्थिक संकट का एकमात्र कारण है तो आप गलत हैं. देश के इन हालातों के लिए पूर्व राष्ट्रपति ह्यूगो चावेज की कई नीतियों को जिम्मेदार बताया जाता है. बता दें कि साल 1999 से लेकर 2013 तक ह्यूगो चावेज यहां के राष्ट्रपति रहे. इन्होंने कमाई का एक बड़ा हिस्सा सामाजिक कार्यों और देश की गरीबी दूर करने में लगा दिया. आम औऱ गरीब लोगों को राहत पहुंचाने के लिए सरकार ने प्राइस कंट्रोल कैंपिंग की शुरुआत की. जिसका असर यह हुआ कि कई कंपनियों का मुनाफा कम हो गया और उनका कारोबोर बंद होने लगा. जिसके चलते वेनेजुएला में विदेशी करेंसी से सामान निर्यात करने में भी कमी आने लगी. जिसका सबसे ज्यादा गलत प्रभाव यह पड़ा कि इस देश में कालाबाजारी औऱ मुद्रास्फिती तेजी से पैर पसारने लगीं.
क्या है मुद्रास्फीति बढ़ने का कारण
आपको बता दें कि आज इस देश की मुद्रास्फीति दुनिया के किसी देश की तुलना में सबसे अधिक और आईएमएफ की रिपोर्ट्स की मानें तो इसके कम होने के आसार हाल-फिलहाल तो नजर नहीं आ रह हैं. यहां के इकोनॉमिस्ट स्वीट हांके और जॉन हॉपकिंस यूनिवर्सिटी ने मुद्रास्फिती की गणना की तो पाया कि मुद्रास्फिती में 18,000 फीसदी की बढ़ोत्तरी हुई है. यहां निकोलस मदूरो की सरकार लोगों को मिनिमम सैलरी देने और बजट को पूरा करने के लिए तेजी से नोटों की छपाई कर रही है.
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https://youtu.be/7L9Sfx54MMQ
https://youtu.be/wzZIBEDM0lw