नई दिल्ली, Nuclear Deterrent Force रूस ने हमेशा से ही अमेरिका, फ्रांस, ब्रिटेन और उत्तर कोरिया जैसे परमाणु संपन्न देशों पर परमाणु हथियार इस्तेमाल करने की बात पर इंकार किया है. लेकिन क्या रूस इस बार यूक्रेन पर परमाणु हमला करेगा? बता दें की यूक्रेन के पास कोई परमाणु हथियार नही है.
रूस-यूक्रेन हमले के चौथे दिन रूस के राष्ट्रपति पुतिन ने अपने परमाणु प्रतिरोधी बलों (Russian Nuclear Deterrent Force) को अलर्ट रहने का आदेश दिया है. रूस के इस कदम पर अमेरिका समेत कई देशों ने निंदा की है. ख़बरों के अनुसार पुतिन ने अपने रक्षा मंत्री द्वारा, परमाणु प्रतिरोधी बलों से ‘लड़ाकू ड्यूटी’ के लिए अलर्ट रहने को कहा है. इसके अलावा परमाणु बमों को लांच करने की तैयारियों को भी बढ़ाने के आदेश दिए गए हैं. ये खबर पूरी दुनिया के लिए चिंता का विषय है.
परमाणु प्रतिरोधी बलों (Russian Nuclear Deterrent Force) वह फ़ोर्स या बल है जो परमाणु हमलों से किसी देश को बचाती है. साथ ही किसी परमाणु हमले का जवाब भी दे सकती है. इस बल का आधार परमाणु प्रतिरोध या निरोध की विचारधारा है. जिसके तहत इसकी प्राथमिकता अपने देश को परमाणु खतरे से बचाने की है.
दूसरे विश्व युद्ध के बीच जब अमेरिका और सोवियत संघ के बीच तनाव बढ़ गया था तो इसे शीतयुद्ध की संज्ञा दी गयी थी. उस दौरान महाशक्तियों में परमाणु बमों को बनाने की होड़ लग गयी थी. उस समय अमेरिका के द्वारा न्यूक्लियर डेटेरेंट फोर्स का इस्तेमाल किया गया. इस बल का अर्थ था की यदि सोवियत संघ किसी देश पर परमाणु हमला करता है तो अमेरिका उसका विरोध करेगा.
शीतयुद्ध के दौर में जिस तरह की नीति का इस्तेमाल अमेरिका कर रहा था ठीक उसी प्रकार की नीति अब रूस भी अपना रहा है. जहां रूस का कहना है की अमेरिका और नाटो देश इसी तरह यदि उसपर कड़े आर्थिक प्रतिबंध लगाते रहे साथ ही यूक्रेनी सेना की सहायता करने की कोशिश की गई तो वह अपने परमाणु हथियारों का इस्तेमाल करने पर मजबूर होगा.
फिलहाल तो इस बात की संभावना कम है कि यूरोपियन नाटो या अमेरिका रूस के खिलाफ पहले परमाणु बम का इस्तेमाल करेगा. क्योंकि रूस के राष्ट्रपति पुतिन ने पहले ही ये बात साफ़ कर दी है कि ये उसका और यूक्रेन का मामला है. इसमें बाधा डालने वाले को ऐसे परमाणु बमों का सामना करना पड़ेगा जो इतिहास ने कभी नहीं देखे होंगे.
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