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Israel ने इराक पर हमला किया तो खैर नहीं, अमेरिकी सेना को कर देगा तबाह, इस देश ने दी धमकी

नई दिल्ली: पश्चिम एशिया में चल रहे दो बड़े संघर्षों ने पूरी दुनिया को चिंता में डाल दिया है. इजराइल एक साथ हिजबुल्लाह और हमास के साथ युद्ध में लगा हुआ है। कई विश्लेषकों और नेताओं ने चेतावनी दी है कि अगर शांति स्थापित नहीं हुई तो अन्य देश भी इस संघर्ष में फंस सकते […]

If Israel attacks Iraq, it will not be good, it will destroy the American army, this country threatened
inkhbar News
  • September 28, 2024 11:38 am Asia/KolkataIST, Updated 7 months ago

नई दिल्ली: पश्चिम एशिया में चल रहे दो बड़े संघर्षों ने पूरी दुनिया को चिंता में डाल दिया है. इजराइल एक साथ हिजबुल्लाह और हमास के साथ युद्ध में लगा हुआ है। कई विश्लेषकों और नेताओं ने चेतावनी दी है कि अगर शांति स्थापित नहीं हुई तो अन्य देश भी इस संघर्ष में फंस सकते हैं और यह संकट पूरे मध्य पूर्व को अपनी चपेट में ले सकता है. मौजूदा हालात ज्यादा उम्मीद नहीं जगाते. लेबनान में इजरायली हवाई हमले जारी हैं. हिजबुल्लाह के साथ संघर्ष में भी इजराइल वही भाषा बोल रहा है जो वह हमास के साथ लड़ाई में बोलता रहा है. इस बार भी उनका कहना है कि उनकी कार्रवाई हिजबुल्लाह के खात्मे तक जारी रहेगी. बता दें कि करीब एक साल के सैन्य अभियान के बाद भी वह गाजा में हमास को खत्म नहीं कर पाया है.

 

सहमत हुआ है

 

हालांकि यहूदी राज्य ने गुरुवार को इस बात से इनकार किया है कि वह लेबनानी सशस्त्र समूह हिजबुल्लाह और लेबनानी राजनीतिक दलों के साथ युद्धविराम पर सहमत हुआ है। आपको बता दें कि अमेरिका और सहयोगी देशों ने 21 दिनों के सीजफायर की अपील की थी. इससे पहले बुधवार को सुरक्षा परिषद की एक बैठक को संबोधित करते हुए संयुक्त राष्ट्र प्रमुख एंटोनियो गुटेरेस ने भी इस संकट के क्षेत्रीय रूप लेने के प्रति आगाह किया था. उन्होंने कहा, ‘लेबनान में आपदा का तूफान चल रहा है.

 

तनावपूर्ण रहे हैं

 

इजराइल और लेबनान को अलग करने वाली सीमा रेखा ‘ब्लू लाइन’ पर गोलाबारी हो रही है, जिसका दायरा और तीव्रता बढ़ती जा रही है. आख़िर संघर्ष के बड़े पैमाने पर फैलने का ख़तरा क्यों है? इसे समझने के लिए हमें मध्य पूर्व के देशों की राजनीतिक पेचीदगियों को समझना होगा। इजराइल और अरब देशों के बीच संबंध ऐतिहासिक रूप से तनावपूर्ण रहे हैं, जिसके कारण इस क्षेत्र को कई युद्धों का सामना करना पड़ा है। फिर यहूदी राज्य हिज़्बुल्लाह और हमास से उलझ गया है।

 

कम नहीं हैं

 

इन दोनों को ईरान का खुला समर्थन प्राप्त है. खासतौर पर ईरान ने हिजबुल्लाह की स्थापना में अहम भूमिका निभाई है. ऐसा माना जाता है कि हिजबुल्लाह लेबनानी सेना से कहीं अधिक शक्तिशाली है और उसके शक्तिशाली और आधुनिक हथियार भी कम नहीं हैं। हालाँकि, अब तक ईरान ने लेबनान में इज़रायल की सैन्य कार्रवाई पर कोई तीखी प्रतिक्रिया व्यक्त नहीं की है। इसकी वजह ईरान के नवनिर्वाचित राष्ट्रपति पेजेशकियान को बताया जा रहा है जिन्होंने इस पूरे मुद्दे पर अपना रुख काफी नरम रखा है. लेकिन देखना यह होगा कि वह कब तक अपना नरम रुख बरकरार रखते हैं. मीडिया रिपोर्ट्स के मुतुाबिक ईरान के कट्टरपंथी रूढ़िवादियों को उनका समझौतावादी रुख पसंद नहीं है.

 

मुश्किल हो जाएगा

 

अगर इजराइल ने हिजबुल्लाह के खिलाफ अपना अभियान बढ़ाया तो ईरान के लिए चुप रहना मुश्किल हो जाएगा. इस संकट की आंच गृहयुद्ध में उलझे सीरिया तक पहुंचती दिख रही है. खबरें हैं कि गुरुवार को इजरायल ने सीरिया-लेबनान सीमा पर हवाई हमला किया जिसमें 8 लोग घायल हो गए. वैसे यहूदी राष्ट्र अक्सर सीरिया में हवाई हमले करता रहता है।

 

खिलाफ की है

 

उसका दावा है कि उसने यह कार्रवाई हिजबुल्लाह के खिलाफ की है। मीडिया रिपोर्ट्स के मुताबिक, लेबनान में इजरायली सैन्य कार्रवाई के बाद बड़ी संख्या में लोग सीरिया की ओर पलायन कर रहे हैं. वहीं इसी बीच इराकी शिया मिलिशिया कताइब हिजबुल्लाह के एक बयान के बाद यह आशंका पैदा हुई है कि क्या इराक और इजराइल के बीच भी लड़ाई शुरू हो सकता है.

 

इजराइल के खिलाफ हैं

 

दरअसल, कताइब हिजबुल्लाह ने धमकी दी है कि अगर इजरायल ने इराक पर हमला किया तो वह देश में मौजूद अमेरिकी सेना पर हमला करेगा। मिलिशिया का दावा है कि इराकी हवाई क्षेत्र में अमेरिका और इजरायल की तीव्र गतिविधियां देखी जा रही हैं। ये ‘इराक के ख़िलाफ़ ज़ायोनी (इज़राइली) हमले की संभावना’ का संकेत देते हैं। यमन के हौथी विद्रोही पहले से ही इजराइल के खिलाफ हैं. गाजा में फिलिस्तीनियों के खिलाफ समर्थन दिखाने के नाम पर वे लाल सागर और अदन की खाड़ी से गुजरने वाले इजराइल के जहाजों को निशाना बना रहे हैं. अमेरिका और उसके सहयोगियों की सैन्य कार्रवाई भी इन्हें रोकने में सफल नहीं हो रही है. जबकि मध्य पूर्व के अन्य देशों में जनता की सहानुभूति हिजबुल्लाह और विशेषकर हमास के साथ है। अरब देशों की सरकारों पर वहां की जनता की ओर से इजरायल के खिलाफ सख्त रुख अपनाने का लगातार दबाव बना हुआ है.

 

स्थापित नहीं करेगा

 

वहीं हाल ही में सऊदी क्राउन प्रिंस और पीएम मोहम्मद बिन सलमान अल ने कहा कि सऊदी अरब ‘पूर्वी येरुशलम’ को अपनी राजधानी बनाकर एक ‘स्वतंत्र फ़िलिस्तीनी राज्य’ के गठन के बिना इज़राइल के साथ राजनयिक संबंध स्थापित नहीं करेगा। क्या क्राउन प्रिंस का यह बयान इजराइल के प्रति सख्त रुख अपनाने के जनता के दबाव के कारण आया है? क्योंकि पिछले कुछ सालों से ये दोनों देश रिश्ते सामान्य करने की कोशिश कर रहे थे. इस पूरे संकट में अमेरिका और पश्चिम की भूमिका भी सवालों के घेरे में है. एक तरफ अमेरिका शांति की अपील जारी कर रहा है.

 

पैकेज मिला है

 

दूसरी ओर, वह खुलकर इजराइल का समर्थन भी करते हैं. मीडिया रिपोर्टों के अनुसार, इज़राइल ने गुरुवार को कहा कि उसे अपने चल रहे सैन्य प्रयासों का समर्थन करने और क्षेत्र में सैन्य बढ़त बनाए रखने के लिए अमेरिका से 8.7 बिलियन डॉलर का सहायता पैकेज मिला है। पश्चिम की संदिग्ध भूमिका ने इस संकट को और जटिल बना दिया है। वह इस साजिश सिद्धांत को बढ़ावा दे रही है कि पश्चिम अशांत मध्य पूर्व में अपना फायदा देखता है।

 

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