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ऋषि सुनक के ससुर नारायणमूर्ति ने क्यों कहा- “भारत के लिए ये बहुत शर्मनाक”

नई दिल्ली. ब्रिटेन के प्रधानमंत्री ऋषि सुनक के ससुर और इनफ़ोसिस के को फाउंडर नारायणमूर्ति ने भारत को लेकर एक बड़ा बयान दे दिया है. भारतीय कफ सीरप से गाम्बिया में बच्चों की मौत के दावे पर इंफोसिस के संस्थापक एन आर नारायणमूर्ति ने कहा कि भारत में बने कफ सीरप से 66 बच्चों की […]

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  • November 16, 2022 4:14 pm Asia/KolkataIST, Updated 2 years ago

नई दिल्ली. ब्रिटेन के प्रधानमंत्री ऋषि सुनक के ससुर और इनफ़ोसिस के को फाउंडर नारायणमूर्ति ने भारत को लेकर एक बड़ा बयान दे दिया है. भारतीय कफ सीरप से गाम्बिया में बच्चों की मौत के दावे पर इंफोसिस के संस्थापक एन आर नारायणमूर्ति ने कहा कि भारत में बने कफ सीरप से 66 बच्चों की मौत हो जाना भारत के लिए बहुत ही शर्मनाक बात है, इसके साथ ही नारायणमूर्ति ने यह भी कहा कि इससे भारतीय फार्मा नियामक एजेंसी की छवि खराब हुई है.

भारत के लिए शर्म की बात

दरअसल, सोमवार को इंफोसिस प्राइज 2022 समारोह हो रहा था और इसी समारोह में इनफ़ोसिस के को फाउंडर नारायणमूर्ति संबोधन कर रहे थे. ऐसे में इस कार्यक्रम में संबोधन के दौरान नारायणमूर्ति ने कफ सीरप से बच्चों की मौत पर चिंता जताते हुए कहा कि इस घटना से भारत को दुनिया की नजरों में शर्मसार होना पड़ा है. नारायणमूर्ति ने कहा कि पिछले 20 सालों में भारत ने विज्ञान और तकनीकी क्षेत्र में काफी विकास किया है लेकिन अभी भी भारत के आगे बहुत चुनौतियाँ हैं और भारत को इन चुनौतियों को पार करना हैं.

शिक्षा की गुणवत्ता पर भी उठाया सवाल

इस कार्यक्रम में भारत के विज्ञान और तकनीकी क्षेत्र पर बात करते हुए इंफोसिस के संस्थापक नारायणमूर्ति ने भारत की उच्च शिक्षा की गुणवत्ता पर भी सवाल उठाया, शिक्षा गुणवत्ता पर सवाल उठाते हुए नारायणमूर्ति ने कहा कि भारत का एक भी शिक्षण संस्थान वर्ल्ड ग्लोबल रैंकिग 2022 में शामिल नहीं है इसके साथ ही उन्होंने कि भारत को वैक्सीन निर्माण के लिए भी किसी दूसरे विकसित देश के टेक्नोलॉजी या रिसर्च पर निर्भर रहना पड़ता है. इसके साथ ही इस कार्यक्रम में नारायणमूर्ति ने सफलता का मूलमंत्र भी साझा किया. सफलता का मूलमंत्र साझा करते हुए इंफोसिस साइंस फाउंडेशन के ट्रस्टी एन आर नारायणमूर्ति ने कहा कि किसी भी आविष्कार या खोज की सफलता के लिए सबसे पहली ज़रूरत पैसा नहीं है क्योंकि अगर ऐसा होता तो पूर्वी यूरोप के देश गणित के क्षेत्र में बिल्कुल भी सफल नहीं होते. सफलता के लिए ज़रूरी है हमारे स्कूल और कॉलेज की शिक्षा दुनिया की वर्तमान समस्याओं से जुडी हों. और हमारे शोधकर्ता वर्तमान की समस्याओं को जल्द से जल्द हल करने की कोशिश करें, तभी हम सफल हो सकते हैं.

 

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