नई दिल्ली। पड़ोसी देश पाकिस्तान अब एक बड़ा फैसला लेने जा रहा है, पाकिस्तान के सेना प्रमुख जनरल बाजवा के रिटायरमेंट के साथ-साथ नए सेना प्रमुख की बहाली पर भारत की निगाहें हैं। पाकिस्तान की सत्ता में प्रत्यक्ष रूप से प्रभाव डालने वाली सेना एवं सेना प्रमुख पर आखिर भारत की निगाहें क्यों हैं, क्या […]
नई दिल्ली। पड़ोसी देश पाकिस्तान अब एक बड़ा फैसला लेने जा रहा है, पाकिस्तान के सेना प्रमुख जनरल बाजवा के रिटायरमेंट के साथ-साथ नए सेना प्रमुख की बहाली पर भारत की निगाहें हैं। पाकिस्तान की सत्ता में प्रत्यक्ष रूप से प्रभाव डालने वाली सेना एवं सेना प्रमुख पर आखिर भारत की निगाहें क्यों हैं, क्या पाकिस्तान के इस फैसले के बाद भारत पर भी कोई असर पड़ेगा। क्या रिश्तों में सुगमता आएगी या फिर पहले से भी ज़्यादा कटु हो जाएंगे इनके सम्बन्ध।
पाकिस्तान में 75 सालों से अब तक कोई भी प्रधानमंत्री अपने पांच वर्ष का कार्यकाल पूरा नहीं कर पाया है। इतने समय में लगभग 36 वर्ष पाकिस्तान में सेना का ही शासन रहा है। हम आपको बता दें की पाकिस्तान के सेना प्रमुख जनरल बाजवा का कार्यकाल तीन वर्ष पहले ही समाप्त हो गया था। लेकिन इमरान खान सरकार ने बाजवा के कार्यकाल के तीन वर्ष आगे बढ़ा दिया था। पाकिस्तान में सेना ही तय करती है कि, पड़ोसी देशों के साथ किस तरह के सम्बन्ध बनाने हैं।
जनरल कमर जावेद बाजवा(61) 29 नवंबर को रिटायर होने वाले हैं, और नए सेना प्रमुख को लेकर भारत की निगाहें इसलिए पाकिस्तान पर हैं कि, नए सेना प्रमुख का झुकाव चीन और अमेरिका मे किसकी तरफ होगा साथ ही एलओसी को लेकर उसका क्या रुख होगा। हम आपको बता दें कि, 2021 की शुरुआत मे ही जनरल बाजवा ने एलओसी पर भारत के साथ सीज फायर एंग्रमेंट की बहाली को मंजूरी दी थी, अब नए सेना प्रमुख के कार्यकाल मे क्या एलओसी पर शांति रहेगी या नहीं? क्या आतंकी गतिविधियां और घुसपैठ रुक जाएगी या बढ़ेगी।
जनरल बाजवा के स्थान पर पाकिस्तानी सेना के प्रमुख के रूप मे क़रीब छह नाम मुख्य रूप से सामने आ रहे हैं इनमें लफ्टिनेंट जनरलअसीम मुनीर, ले. जनरल साहिर शमशाद मिर्जा, ले. जनरल अजहर अब्बास, ले. जनरल महमूद, ले. जनरल फैज हमीद और ले. जनरल मोहम्मद आमिर का नाम है। इन नामों के बावजूद भी ऐसे संकेत मिल रहे हैं कि, शहबाज़ सरकार भी इमरान खान की तरह बाजवा का कार्यकाल बढ़ाना चाहती है। पाकिस्तान के रक्षा मंत्री ख्वाजा एम. आसिफ ने कहा कि, सरकार सेना अधिनियम 1952 में संशोधन करने की योजना बना रही है।