नई दिल्ली। Australia के प्रधानमंत्री एंथनी अल्बनीज द्वारा देश में भारत विरोधी ताकतों पर अंकुश लगाने के आश्वासन के बाद भी भारतीयों के खिलाफ नारेबाजी थमने का नाम नहीं ले रही। ताजा मामला आस्ट्रेलिया के ब्रिस्बेन के टारिंगा उपनगर का है। यहां पर भारतीय वाणिज्य दूतावास के सामने हिंदूओं के खिलाफ अभद्र नारेबाजी की गई […]
नई दिल्ली। Australia के प्रधानमंत्री एंथनी अल्बनीज द्वारा देश में भारत विरोधी ताकतों पर अंकुश लगाने के आश्वासन के बाद भी भारतीयों के खिलाफ नारेबाजी थमने का नाम नहीं ले रही। ताजा मामला आस्ट्रेलिया के ब्रिस्बेन के टारिंगा उपनगर का है। यहां पर भारतीय वाणिज्य दूतावास के सामने हिंदूओं के खिलाफ अभद्र नारेबाजी की गई और खालिस्तान जिंदाबाद से लिखे पोस्टर भी लहराए गए है।
मामले पर क्वींसलैंड पुलिस का कहना है कि भारतीय दूतावास के सामने कई खालिस्तानी समर्थकों की भीड़ इकट्ठा हुई थी। जिसके बाद यह लोग किसी को भी दूतावास के अंदर नहीं जाने दे रहे थे।
मामले पर हिंदू मानवाधिकार की निदेशक सारा एल गेट्स ने बताया कि सिख फॉर जस्टिस ने अपने प्रचार के दौरान भारतीय दूतावास के गेट को बंद कर दिया था। गेट्स ने कहा कि वह खालिस्तान जिंदाबाद के नारे लगा रहे थे। इस दौरान इलाके में भारी पुलिस बल मौजूद था। बता दें, हाल ही में भारत यात्रा पर आए ऑस्ट्रेलिया के प्रधानमंत्री एंथनी अल्बनीज और प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने ऑस्ट्रेलिया में खालिस्तानी संगठनों द्वारा की गई गड़बड़ी पर चर्चा की थी, जिसको लेकर अल्बनीज ने शांति बरतने के साथ उपाय करने का आश्वासन दिया था।
घटना पर भारतीय मूल की ऑस्ट्रेलियाई नागरिक अर्चना सिंह ने कहा कि उन्हें घटनास्थल में एक खालिस्तानी झंडा मिला था। इसके बाद उन्होंने तत्काल इसकी सूचना क्वींसलैंड पुलिस को दी। अर्चना ने कहा कि हमें यहां की पुलिस और अधिकारियों पर पूरा भरोसा है। उन्होंने कहा कि इससे पहले भारतीय मूल के ऑस्ट्लियाई लोगों पर हमले हो रहे थे, लेकिन अब खालिस्तानी समर्थक भारत सरकार से संबंधित संस्थानों को भी निशाना बना रहे हैं।
बता दें, इससे कुछ दिन पहले भी ब्रिस्बेन में खालिस्तानियों ने एक हिंदू मंदिर को निशाना बनाया था। मार्च की शुरुआत में खालिस्तान समर्थकों ने श्री लक्ष्मी नारायण मंदिर में तोड़फोड़ की थी। हिंदू मानवाधिकार की निदेशक सारा गेट्स ने कहा कि यह साफतौर पर ऑस्ट्रेलिया में हिंदुओं को डराने की कोशिश है। हमले के बाद हिंदू समुदाय के लोगों ने मंदिर की दीवारों से हिंदू विरोधी नारों को साफ किया था।