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भारत शेख हसीना को फांसी पर लटकाने के लिए नहीं देगा, बांग्लादेश मिमियाने लगा!

शेख हसीना को लेकर बांग्लादेश अंतरिम सरकार के तेवर ढीले पड़ने लगे हैं. उन्हें पता चल गया है कि भारत शेख हसीना को नहीं सौंपेगा लिहाजा अंतरिम सरकार के सलाहकार महफूज आलम नेढाका में कहा कि हमें यथार्थवादी रहना होगा, जल्दबाजी में कार्रवाई करना कोई विकल्प नहीं है.

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PM Modi, Muhammad Yunus & Seikh Hasina
  • December 30, 2024 8:03 pm Asia/KolkataIST, Updated 3 days ago

नई दिल्ली. बांग्लादेश की अपदस्थ प्रधानमंत्री शेख हसीना को लेकर बांग्लादेश और भारत में तनातनी चल रही है. बांग्लादेश ने पहले कट्टरपंथियों का मन बढ़ाया, हिंदुओं और उनके मंदिरों पर हमले के दौरान सरकार तमाशबीन बनी रही और अब कह रही है कि शेख हसीना को सौंपिए. इसके लिए 23 दिसंबर को पड़ोसी मुल्क ने भारत को एक नोट वर्बेल भेजकर हसीना के प्रत्यर्पण की मांग की.  भारत ने उस पर कोई रिएक्शन नहीं दिया है. इससे यूनुस सरकार के हौसले पस्त पड़ने लगे हैं.

बांग्लादेश के हौसले पस्त

अंतरिम सरकार के सलाहकार महफूज आलम ने रविवार को ढाका में ‘नए बांग्लादेश की स्थापना: आंतरिक सुधार और विदेश नीति’ पर संवाद के बाद मीडिया से बातचीत कहा कि हमें यथार्थवादी रहना होगा, जल्दबाजी में कार्रवाई करना कोई विकल्प नहीं है.’ उन्हें जानकारी मिली है कि भारत हसीना को वापस नहीं करेगा. वहां के विदेश मंत्रालय के प्रवक्ता मोहम्मद रफीकुल आलम ने नोट वर्बेल भेजने के अगले दिन कहा था कि बांग्लादेश व भारत की प्रत्यर्पण संधि में कोई समय सीमा का उल्लेख नहीं है, इस कारण यूनुस की सरकार भारत के जवाब का इंतजार करेगी.

भारत-बांग्लादेश में प्रत्यर्पण संधि

आपको बता दें कि भारत और बांग्लादेश में 2013 में प्रत्यर्पण संधि हुई थी, जुलाई 2016 में आपसी सहमति से दोनों देशों ने संधि को संशोधित किया ताकि भगोड़े अपराधियों की प्रत्यर्पण प्रक्रिया को तेज किया जा सके। अब बांग्लादेश ने इसी संधि का हवाला देते हुए हसीना के प्रत्यर्पण की मांग की है। वहां की सरकार के मुताबिक हसीना के खिलाफ हत्या, नरसंहार और मानवता के खिलाफ अपराध समेत 100 से ज्यादा मामले दर्ज है जिस पर ट्रायल होना है.

हसीना को फांसी देना चाहता है बांग्लादेश

दरअसल बांग्लादेश शेख हसीना को प्रत्यर्पित कराकर अदालत में केस चलाना चाहता है. कानून के जानकारों का मानना है कि यह तो औपचारिक तौर पर दिखावे की बात है, असल में वह शेख हसीना को कानून की आड़ लेकर फांसी देना चाहता है. भारत बांग्लादेश की चाल से अच्छी तरह वाकिफ है इसलिए किसी जल्दीबाजी में नहीं है. बांग्लादेश जिस प्रत्यर्पण संधि की आड़ लेकर दांव पेंच खेल रहा है उसी में प्रावधान है कि राजनीतिक शख्सियतों पर यह लागू नहीं होता है. यानी कि भारत शेख हसीना का प्रत्यर्पण करने के लिए बाध्य नहीं है. 5 अगस्त 2024 को तख्तापलट के बाद शेख हसीना अपनी बहन के साथ भारत आ गईं थी.

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