नई दिल्लीः यूक्रेन और रूस के युद्ध के बाद से दुनिया दो गुटों में बंटी हुई दिख रही है. ऐसे में कुछ देश अप्रत्यक्ष रूप से रूस की मदद कर रहें हैं. वही देश दुनिया भर के देशों से हर प्रकार के संबंध तोड़ने की बात कर रहे हैं.
रूस से व्यापरिक समझौता को लेकर केंद्रीय पेट्रोलियम एवं प्राकृतिक गैस मंत्री हरदीप सिंह पुरी अपने अमेरिका दौरे पर भारत का रूख स्पष्ट किया। जहां वह अमेरिकी ऊर्जा सचिव जेनिफर ग्रानहोम के साथ द्विपक्षीय वार्ता में शामिल हुए. वाशिंगटन में केंद्रीय मंत्री ने अमेरिकी मीडिया से बातचीत में कहा कि देश के नागरिकों की ईंधन जरूरतों की आपूर्ति करना भारत सरकार का नैतिक कर्तव्य है. अपने कर्तव्य को पूरा करने के लिए वह किसी भी देश से तेल खरीदना जारी रखेगा. उन्होंने कहा अगर आप अपनी नीति के बारे में स्पष्ट जानकारी हैं, तो आपको समझ होगी कि आप ऊर्जा सुरक्षा और ऊर्जा सामर्थ्य पर विश्वास रखते हैं. ऐसे में आप उन स्रोतों से ईंधन खरीदेंगे, जहां पर आपकों ये सुविधाजनक प्रतीत होगा.
भारत द्वारा रूस से कच्चे तेल का आयात अप्रैल से अब तक 50 गुना से ज्यादा बढ़ गया है. अब तक भारत कुल कच्चा तेल आयात का 10 फीसदी हिस्सा रूस से मंगवा रहा है. यूक्रेन युद्ध से पहले भारत रूस से मात्र 0.2 फीसदी आयात करता था.
गौरतलब है कि केन्द्रीय मंत्री हरदीप सिंह पुरी भारत-अमेरिका ग्रीन एनर्जी कॉरिडोर के विषय पर चर्चा करने अमेरिका पहुंचे थे. अमेरिका के ऊर्जा विभाग के सचिव के साथ एक प्रतिबंधात्मक सत्र में इस पर बात चीत हुई. उन्होंने बताया कि दोनों देश इस कॉरिडोर में क्या-क्या संभव, इसकी रूपरेखा तैयार की जा रही हैं.
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