नई दिल्लीः भारत के दुश्मनों के लिए बुरी खबर सामने आई है। फ्रांस और भारत के बीच स्ट्रैटेजिक डिफेंस पार्टनरशिप को लेकर डील होने वाली है। अब युद्ध के मैदान में पाकिस्तान और चीन थर-थर कापेंगे। फ्रांस ने भारत के राष्ट्रीय सुरक्षा सलाहकार अजीत डोभाल को 26 राफेल का फाइनल प्राइस ऑफर किया है। इस राफेल मरीन जेट को आईएनएस विक्रांत विमानवाहक पोत और विभिन्न ठिकानों पर तैनात किया जाएगा।
आपको बता दें एनएसए अजीत डोभाल सोमवार (30 सितंबर) से 1 अक्टूबर तक फ्रांस की दो दिवसीय यात्रा पर रहेंगे। इस दौरान राफेल सौदा बैठक के मुख्य एजेंडों में से एक होगा। अगर यह सौदा हो जाता है तो डसॉल्ट एविएशन के राफेल मरीन जेट वर्तमान में तैनात मिग-29 की जगह लेंगे। इस खरीद में 22 सिंगल-सीट राफेल मरीन विमान और चार ट्विन-सीटर ट्रेनर संस्करण शामिल हैं।
एनएसए डोभाल और मैक्रों के सलाहकार बॉन के बीच परमाणु हमला करने वाली राफेल पनडुब्बी, 110 किलोग्राम न्यूटन थ्रस्ट वाले विमान इंजन और अंडरवाटर ड्रोन के मुद्दों पर बातचीत होगी। फ्रांस इन सभी की तकनीक भी भारत के साथ साझा करने को तैयार हो सकता है। अब सवाल उठता है कि इस डील से भारत को कितना फायदा होगा। आपको बता दें राफेल मरीन की डील से जमीन के साथ समुद्र पर भी भारत की ताकत बढ़ेगी।
दरअसल राफेल डील के बाद भारत समुद्र के अंदर भी अपने दुश्मनों को सबक सिखाने के लिए तैयार हो जाएगा। परमाणु हमला करने वाली पनडुब्बी, अंडरवाटर ड्रोन की इस डील से हिंद महासागर में बढ़ती चीनी घुसपैठ पर रोक लगेगी। इतना ही नहीं पाकिस्तान भी इसकी जद में आ जाएगा। परमाणु हमला करने वाली पनडुब्बी से समुद्र के अंदर दुश्मनों की हर हरकत पर नजर रखी जा सकेगी। वहीं अंडरवाटर ड्रोन से भी भारत की ताकत बढ़ेगी।
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