नई दिल्ली. रूस के कजान में होने वाले ब्रिक्स सम्मेलन में पीएम मोदी के जाने से पहले भारत और चीन में वास्तविक नियंत्रण रेखा (LAC) पर गश्त को लेकर दोनों देशों में जो समझौता हुआ है उसको लेकर सवाल पूछे जा रहे हैं. पहला सवाल ये है कि वर्षों से एलएसी पर कुंडली मारकर बैठा चीन आखिर भारतीय सैनिकों को देपसांग और डेमचोक में गश्त करने के लिए रास्ता देने को कैसे तैयार हुआ? दूसरा ये कि भारत ने जो बयान जारी किया है उसे ड्रैगन कितना महत्व दे रहा है. कहीं ऐसा तो नहीं कि चीन ने दोनों देशों के प्रमुखों पीएम मोदी और राष्ट्रपति शी जिनपिंग की बैठक कराने के लिए ये कदम उठाया है.
एक्सपर्ट ब्रह्मा चेलानी इस समझौते को ज्यादा महत्व नहीं दे रहे हैं, उनका मानना है कि सैन्य गतिरोध को समाप्त करने के लिए कोई समझौता नहीं हुआ है. सब कुछ इस सप्ताह होने वाले ब्रिक्स शिखर सम्मेलन के दौरान मोदी और शी जिनपिंग की बैठक को सुगम बनाने के लिए किया गया है जिसके तहत भारत-चीन गश्त व्यवस्था पर सहमत हुए हैं. चेलानी ने मानते हैं कि इस स्थिति के लिए चीन जिम्मेदार है और उसने सीमा प्रबंधन समझौतों का उल्लंघन किया है.
सना हाशमी का भी मानना है कि हम ब्रिक्स समिट के दौरान मोदी-शी की बैठक देख सकते हैं. यह डील भारतीय प्रधानामंत्री की चीनी राष्ट्रपति शी जिनपिंग के साथ बैठक कराने के लिए हो सकती है. ऐसी बैठकों के लिए सकारात्मक माहौल जरूरी होता है. देखतें हैं कि संघर्ष विराम कब तक चलता है. सना का यह भी मानना है कि चीन रणनीतिक रूप से कनाडा मुद्दे को पश्चिम के खिलाफ इस्तेमाल कर सकता है. वह भारत को संदेश देना चाहेगा कि पश्चिम अविश्वसनीय भागीदार है. चीन पहले ही सुझाव दे चुका है कि एशियाई देशों को पश्चिमी प्रभाव के खिलाफ एकजुट होना चाहिए.
जानकारी के मुताबिक समझौते में देपसांग सहित उन सभी जगहों पर फिर से पेट्रोलिंग शुरू करने की बात है जहां पर तनाव के बाद बंद हो गई थी. चीनी सैनिक पेट्रोलिंग के रास्ते में आकर बैठ गए थे. इस वजह से वहां भारतीय सेना की पेट्रोलिंग रुक गई. जवाब में भारतीय सेना ने भी कुछ प्वाइंट पर ऐसी ही कार्रवाई की. दूसरा प्वाइंट डेमचॉक है जहां चीन ने टेंट लगा लिये. चीन बहाना करता रहा है कि टेंट उसके चरवाहों के हैं. लेकिन हकीकत में ये चीनी सैनिक हैं, जो सिविल ड्रेस में वहां आ बैठे हैं. अप्रैल 2020 से पहले जहां टेंट नहीं थे, वहां ये लगे हैं.
डिसइंगेजमेंट पर चुप्पी
इस तरह चीन और भारत दोनों की सेनाएं आमने-सामने हैं. दो साल पहले पैंगोग लेक एरिया और गलवान के पेट्रोलिंग पॉइंट-14 से डिसइंगेजमेंट हुआ था. इसके बाद गोगरा में पेट्रोलिंग पॉइंट-17 से जवान हटे. हॉट स्प्रिंग एरिया में पीपी-15 से दोनों देशों के सैनिक पीछे हटे. फिलहाल यहां बफर जोन बना है. जहां भारत और चीन किसी भी देश के सैनिक पेट्रोलिंग नहीं करते हैं.
जानकारों का मानना है कि पीएम मोदी और शी जिनपिंग की मुलाकात के दौरान यह सहमति आगे बढ़ सकती है लेकिन विशेषज्ञ मानते हैं कि जब तक डिसइंगेजमेंट नहीं होता तब तक कुछ भी कहना जल्दीबाजी होगी. ड्रैगन पर भरोसा करना खतरे को दावत देना है.
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