हांगकांग: भारतीयों ने लहराया हर घर तिरंगा, 8000 झंडे फहराए

नई दिल्ली: ब्रिटेन में अनुमानित रूप से 15 लाख से अधिक प्रवासी भारतीय रहते हैं। जिनसे सोमवार को भारत के स्वतंत्रता दिवस समारोह से पहले ‘हर घर तिरंगा’ अभियान में शामिल होने के लिए कहा गया। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने स्वतंत्रता के 75 साल पूरे होने के उपलक्ष में हाल ही में ‘आजादी का अमृत […]

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हांगकांग: भारतीयों ने लहराया हर घर तिरंगा, 8000 झंडे फहराए

Ayushi Dhyani

  • August 14, 2022 8:41 pm Asia/KolkataIST, Updated 2 years ago

नई दिल्ली: ब्रिटेन में अनुमानित रूप से 15 लाख से अधिक प्रवासी भारतीय रहते हैं। जिनसे सोमवार को भारत के स्वतंत्रता दिवस समारोह से पहले ‘हर घर तिरंगा’ अभियान में शामिल होने के लिए कहा गया। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने स्वतंत्रता के 75 साल पूरे होने के उपलक्ष में हाल ही में ‘आजादी का अमृत महोत्सव’ के तहत यह अभियान शुरू किया है। अभियान के तहत भारतीयों को राष्ट्रीय ध्वज के साथ अपने जुड़ाव को गहरा करने के लिए अपने घरों में और सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म पर तिरंगा लगाने के लिए कहा गया।

क्या बोले सुजीत घोष ?

पिछले सप्ताह लंदन में भारतीय विद्या भवन केंद्र में आजादी के अमृत महोत्सव कार्यक्रम में भारत के कार्यवाहक उच्चायुक्त सुजीत घोष ने ब्रिटेन में कहा, ‘‘हाल में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने 13-15 अगस्त के बीच हर घर तिरंगा अभियान का आह्वान किया, मैं इस अवसर पर आपसे तिरंगा फहराने और इस अभियान का हिस्सा बनने की विनती करता हूं।’’उन्होंने कहा, ‘‘75 वर्षों की यह यात्रा बेहद अद्भुत रही है। आज, भारत ‘सबका साथ, सबका विकास, सबका विश्वास और सबका प्रयास’ के मंत्र से संचालित दुनिया की सबसे तेजी से बढ़ती प्रमुख अर्थव्यवस्था बन गया है।’’

वहीं हालिया हफ्तों में लंदन में इंडिया हाउस में उप उच्चायुक्त का कार्यभार संभालने वाले और विक्रम दुरईस्वामी के आगमन तक कार्यवाहक उच्चायुक्त घोष ने कहा, ‘‘भारत 1.3 अरब लोगों का घर है, जो अपने मजबूत लोकतंत्र, इसकी विविधता, समावेशिता, आर्थिक शक्ति के रूप में अपनी साख, विज्ञान और प्रौद्योगिकी में अपनी ताकत के लिए पहचाना जाता है।’’आपको बता दें, विक्रम दुरईस्वामी में बांग्लादेश में भारत के उच्चायुक्त हैं।घोष ने कहा, ‘‘ विविधता और समावेशिता हमारे लिए केवल अवधारणा नहीं हैं, ये मूल्य पिछले 5,000 वर्षों से हमारे डीएनए में छुपा हुआ हैं। हम इनका अध्ययन केवल कुछ अकादमिक संतुष्टि के लिए नहीं करते हैं बल्कि हम इसे भारत में हर पल जीते हैं।’

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