नई दिल्ली। अफगानिस्तान में जबसे तालिबान का राज आया है महिलाओं की स्थिति कैसी है वो किसी से छुपी हुई नहीं है। पहले उनसे पढ़ने-लिखने का हक़ छीन लिया गया और अब नया फरमान जारी हुआ है। तालिबान सरकार का कहना है कि अब महिलाएं घर से बाहर नहीं बोल सकती क्योंकि उनके बोलने से मर्दों की नियत बिगड़ जाती है।
तालिबान के सुप्रीम लीडर मुल्ला हिबातुल्लाह अखुंदजादा ने नए कानूनों को मंजूरी दे दी है। तालिबान ने कानून के पीछे यह दलील दी है कि महिलाओं की आवाज सुनकर मर्दों का मन भटकने लगता है। इस वजह से उन्हें सार्वजानिक जगहों पर बोलने से परहेज करना चाहिए। इस कानून की संयुक्त राष्ट्र समेत कई मानवाधिकार संगठनों ने आलोचना की है। अब अफ़ग़ानिस्तान की महिलाएं मर्दों के भटकते मन को काबू में रखने के लिए सार्वजनिक जगहों पर बात नहीं करेंगी वरना उनकी जान भी जा सकती है।
मंत्रालय के प्रवक्ता मौलवी अब्दुल गफर फारूक ने कहा कि यह इस्लामी कानून बुराई को खत्म करने में मददगार साबित होगा। नए नियमों के तहत घर से बाहर निकलने पर महिलाएं पूरी तरह से ढकी हुई रहेंगी। वो चटक रंग के कपड़े नहीं पहन सकती। पुरुषों के साथ बातचीत नहीं कर सकती। संगीत में नहीं भाग ले सकती। यदि महिलाएं कानून को नहीं मानती है और व्यभिचार करती हैं तो उन्हें सरेआम कोड़े मारे जायेंगे। पत्थर मारकर मौत दी जाएगी।
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