नई दिल्ली: हूती विद्रोहियों पर काबू पाने की कोशिश में अमेरिका और ब्रिटेन ने पिछले 24 घंटों में उनके 8 ठिकानों पर बमबारी की है. हालांकि विद्रोही इसे लेकर ज्यादा चिंतित नहीं हैं. दरअसल लाल सागर में बढ़ती अस्थिरता से भारत जैसे देश बहुत चिंतित हैं. हूती विद्रोहियों को ईरान का समर्थन हासिल है, और ईरान इस बात से नाराज है कि उसके दुश्मन इजरायल और अमेरिका उसके पीछे सुरक्षा कवच की तरह खड़े हैं. ये लाल सागर समुद्री गलियारा अत्यधिक व्यावसायिक महत्व का है. ये एक ऐसा मार्ग है जो एशिया और यूरोप को जोड़ता है, और जिसका सीधा संबंध मिस्र, सऊदी अरब, संयुक्त अरब अमीरात, यमन आदि से जुड़ा है.
बाब-अल-मंडेब जलडमरूमध्य के आसपास की अस्थिर स्थिति भारत के लिए एक गंभीर समस्या है. ये हिंद महासागर को भूमध्य सागर और लाल सागर से जोड़ता है. इसकी वजह से परिवहन की लागत काफी बढ़ गई है. ये वृद्धि जारी रहने की संभावना है. इसके अलावा हूती विद्रोहियों और समुद्री डाकुओं के खतरे को देखते हुए बीमा कंपनियों ने बीमा राशि में भी काफी बढ़ोतरी की है. दरअसल शिपिंग मंत्रालय के सूत्रों का कहना है कि लाल सागर की अस्थिरता के कारण उपलब्ध वैकल्पिक मार्ग काफी लंबा (190 मील) है. इस कारण मालवाहक जहाजों को भारतीय तटों तक पहुंचने में लगभग तीन सप्ताह अधिक समय लगने की संभावना है.
बता दें कि भारत के पास अंतरराष्ट्रीय व्यापार के लिए अपना कोई माल वाहक जहाज नहीं है, और इसके लिए भारत अंतरराष्ट्रीय शिपिंग कंपनियों के मालवाहक जहाज पर निर्भर है. हालांकि जबकि भारत पश्चिम एशिया, अफ्रीका और यूरोप के देशों से इसी रास्ते से 100 अरब डालर से ज्यादा का व्यापार करता है. साथ ही इस रास्ते से कच्चे तेल, एलएनजी और अन्य का आयात और निर्यात करता है. शिपिंग मंत्रालय बताते हैं कि इस गतिरोध को जारी रखने पर बड़ा आर्थिक दबाव पड़ सकता है.
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