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Imran Khan Arrest: पूर्व पीएम को नहीं मिली राहत, समर्थकों की भीड़ के बीच से गिरफ्तार करने पहुंच रही पुलिस

नई दिल्ली: पाकिस्तान के पूर्व प्रधानमंत्री इमरान खान को फ़िलहाल कोर्ट से भी कोई राहत मिलती नहीं दिख रही है. तभी तो गिरफ्तारी वारंट के खिलाफ उनके द्वारा पकिस्तान के इस्लामाबाद हाई कोर्ट में दायर की गई अर्ज़ी को खारिज कर दिया गया है. इसी कड़ी में इमरान खान के लाहौर स्थित आवास में गुरुवार(16 मार्च) को एक बार फिर हंगामा देखने को मिल रहा है.

कोर्ट ने अर्ज़ी की खारिज

दरअसल एक बार फिर पूर्व पीएम की गिरफ्तारी को लेकर पुलिस उनके लाहौर स्थित आवास पहुंची. यहां अभी भी पाकिस्तान तहरीक-ए-इंसाफ (PTI) के समर्थकों ने भारी भीड़ जमा करा रखी है. समर्थक पार्टी अध्यक्ष इमरान खान के आवास के प्रवेश द्वार को सील कर चुके हैं. वहीं पुलिस इमरान खान के घर से कुछ दूरी पर खड़ी है. बता दें, तोशखाना मामले में गिरफ्तारी वारंट को निलंबित करने की अर्ज़ी को इस्लामाबाद हाई कोर्ट ने ख़ारिज कर दिया है जो इमरान खान ने दायर की थी. दूसरी ओर कोर्ट ने 18 मार्च को इमरान खान को गिरफ्तार कर पेश करने का आदेश दिया है. इससे पहले जिला अदालत कह चुकी है कि यदि इमरान खान कोर्ट में समर्पण करते हैं तो इस्लामाबाद पुलिस को भ्रष्टाचार के मामले में पूर्व प्रधानमंत्री को गिरफ्तार करने से रोक दिया जाएगा.

क्या है पूरा मामला ?

सारा मामला पाकिस्तान के खजाने की चोरी का है। इमरान खान साल 2018 में पाकिस्तान के प्रधानमंत्री बने थे। इस दौरान उन्होंने अरब देशों की यात्राओं में वहां के शासकों से महंगे गिफ्ट मिले थे। पाकिस्तान में नियमों के अनुसार किसी दूसरे देश के प्रमुखों या गणमान्य लोगों से मिले हुए उपहारों को तोशाखाना में रखा जाना जरूरी है। अगस्त 2022 में इमरान की मुसीबत तब बढ़ी, जब पाकिस्तान के सत्तारूढ़ गठबंधन ने चुनाव आयोग के पास एक याचिका दायर कर इमरान खान पर अपनी संपत्ति में तोशखाना से प्राप्त उपहारों के बारे में जानकारी ना देने का खुलासा नहीं किया था।

जिसके बाद जांच में पता चला कि इमरान ने मित्र खाड़ी देशों से आए उपहारों में से तीन महंगी घड़ियों की बिक्री की थी, जिसमें उन्होंने 36 मिलियन रुपए कमाए थे। उन्होंने बताया कि इस पूरी प्रक्रिया को उनकी सरकार ने कानूनी अनुमति भी दी थी। बाद में अक्टूबर 2022 को पाकिस्तान के चुनाव आयोग की पांच सदस्यीय पीठ द्वारा तोशाखाना मामले में इमरान को पांच साल के लिए सार्वजनिक कार्यालय संभालने पर प्रतिबंध लगा दिया गया था। साथ ही इमरान खान के खिलाफ भ्रष्टाचार कानूनों के तहत कार्रवाई करने की बात की गई थी।

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