आईआईटी ने खोजा बृहस्पति से 6 गुना बड़ा ग्रह, 200 साल में पूरा करता एक चक्र

कानपुर: आईआईटी कानपुर के वैज्ञानिक ने एक ऐसे ग्रह की खोज की है, जो तारा की परिक्रमा कर रहा है। जैसे पृथ्वी सूर्य के चक्कर लगाती है वैसे ही यह ग्रह तारों का चक्कर लगा रहा है. यहां हमारे सौरमंडल के सबसे बड़ा ग्रह बृहस्पति (जुपिटर) के 6 गुना से भी अधिक बड़ा है इसलिए इसे […]

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आईआईटी ने खोजा बृहस्पति से 6 गुना बड़ा ग्रह, 200 साल में पूरा करता एक चक्र

Manisha Shukla

  • July 26, 2024 8:10 pm Asia/KolkataIST, Updated 4 months ago

कानपुर: आईआईटी कानपुर के वैज्ञानिक ने एक ऐसे ग्रह की खोज की है, जो तारा की परिक्रमा कर रहा है। जैसे पृथ्वी सूर्य के चक्कर लगाती है वैसे ही यह ग्रह तारों का चक्कर लगा रहा है. यहां हमारे सौरमंडल के सबसे बड़ा ग्रह बृहस्पति (जुपिटर) के 6 गुना से भी अधिक बड़ा है इसलिए इसे ‘सुपर जुपिटर’ नाम दिया गया है। यह रिसर्च डिपार्मेंट आफ स्पेस, प्लेनेटरी एंड एस्ट्रोनॉमिक साइंस एंड इंजीनियरिंग के खगोलीयविदो और आईआईटी कानपुर के प्रोफेसर प्रशांत पाठक की टीम ने मिलकर की है। इस उपलब्धि को विज्ञान पत्रिका नेचर में प्रकाशित किया गया है।

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प्रोफेसर प्रशांत पाठक ने बताया कि सुपर जुपिटर ग्रह तारों की परिक्रमा को 200 साल में पूरा करता है। तारों की अत्यंत चमक आमतौर पर एक्सोप्लैनेट (दूसरे तारों की प्रतिमा करने वाले ग्रह) की मंद रोशनी का पता लगाने में बाधा डालती है। टीम ने इस चमक को ब्लॉक करने के लिए विशेष कैमरा ( कोरोनग्राफ से लैस जेडब्ल्यूएसटी के एसआईआरआई कैमरा ) का इस्तेमाल किया। इसे एक कृत्रिम ग्रहण बना और नए ग्रह की खोज हो सके।

 

-1 डिग्री है तापमान

यह काफी ठंडा ग्रह है और इसका तापमान -1 डिग्री सेल्सियस है। इसकी कक्षा भी बहुत बड़ी है। पृथ्वी और सूर्य के बीच जितनी दूरी है उसे 28 गुना अधिक दूरी सुपर जुपिटर ग्रह और उसे तारे के बीच है। इस उपलब्धि से ग्रहों के निर्माण वायुमंडलीय संरचना और सौरमंडल से परे जीवन की संभावना के बारे में समझ मिलती है।

पृथ्वी से 12 प्रकाश वर्ष दूर

पृथ्वी से इसकी दूरी 12 प्रकाश वर्ष की है। प्रोफेसर पाठक ने बताया कि अब वो इस तारे के बारे में अध्ययन कर रहे हैं। अभी तक पता चला है कि यह वह पांचवीं प्रकार के तारे (जिसे एचडी 209100 के नाम से जाना जाता है ) जैसा है। टेलिस्कोप से इसका चित्र भी लिया गया है। आईआईटी के निदेशक प्रोफेसर मणिंद्र अग्रवाल ने कहा है कि यह खोज मिल का पत्थर साबित होगा।

 

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