नई दिल्ली: बांग्लादेश में 5 अगस्त को हुए तख्तापलट ने पूरी दुनिया को हैरान कर दिया. ढाका की सड़कों पर लाखों की संख्या में प्रदर्शनकारी उमड़ पड़े. उन्होंने प्रधानमंत्री आवास और पार्लियामेंट पर कब्जा कर लिया. हालांकि इससे पहले प्रधानमंत्री शेख हसीना अपने पद से इस्तीफा देकर भारत रवाना हो चुकी थीं. बता दें कि […]
नई दिल्ली: बांग्लादेश में 5 अगस्त को हुए तख्तापलट ने पूरी दुनिया को हैरान कर दिया. ढाका की सड़कों पर लाखों की संख्या में प्रदर्शनकारी उमड़ पड़े. उन्होंने प्रधानमंत्री आवास और पार्लियामेंट पर कब्जा कर लिया. हालांकि इससे पहले प्रधानमंत्री शेख हसीना अपने पद से इस्तीफा देकर भारत रवाना हो चुकी थीं. बता दें कि कुछ महीने पहले ही भारी बहुमत से सत्ता पर काबिज होने वाली शेख हसीना को इतनी जल्दी कुर्सी छोड़नी पड़ जाएगी, इसका किसी को भी अंदाजा नहीं था.
वर्ल्ड मीडिया में शेख हसीना के तख्तापलट की खूब चर्चा की जा रही है. इस बीच हसीना की एक गलती की काफी बात की जा रही है. बता दें कि शेख हसीना ने अपने 20 साल के प्रधानमंत्री कार्यकाल में मुस्लिम कट्टरपंथियों को रोकथाम की कोई खास कोशिश नहीं की थी. यही कट्टरपंथी धीरे-धीरे बांग्लादेश की सियासत में हावी होते चले गए. इस दौरान मौका मिलते ही उन्होंने छात्रों के साथ मिलकर हसीना सरकार का तख्तापलट कर दिया.
बता दें कि बांग्लादेश की नई सरकार के प्रमुख मोहम्मद यूनुस भी शेख हसीना वाली गलती दोहरा रहे हैं. उन्होंने अभी तक हिंसा फैला रहे कट्टरपंथियों का कोई इलाज नहीं किया है. मुस्लिम कट्टरपंथी लगातार पूरे देश में अल्पसंख्यक हिंदू समाज को निशाना बना रहे हैं लेकिन यूनुस की सरकार अपनी आंख मूंदे हुए है. माना जा रहा है कि अगर यूनुस कट्टरपंथियों पर लगाम नहीं लगाते हैं तो ये आगे चलकर उनके लिए मुसीबत बन सकते हैं और उनका भी हसीना जैसा तख्तापलट किया जा सकता है. यूनुस का भारत से कोई पुराना रिश्ता भी नहीं है, जिससे भारत सरकार उनकी रक्षा के लिए हसीना की तरह कोई कदम उठाएगी.
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