नई दिल्ली। अमेरिका के पूर्व राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रम्प पर कल यानी रविवार सुबह जानलेवा हमला हुआ, जिसमें वो बाल बाल बचे। दरअसल पेंसिल्वेनिया के बटलर शहर में एक चुनावी रैली के दौरान ट्रंप के ऊपर गोली चलाई गई। हमले में गोली ट्रंप के कानों को छूते हुए निकल गई। इस हादसे के बाद अमेरिका की सीक्रेट सर्विस सवालों के घेरे में है। दरअसल इसी एजेंसी पर ट्रंप की सुरक्षा की जिम्मेदारी थी। रैली के दौरान एजेंट्स साथ थे तब भी जानलेवा हमला हुआ। आइये जानते हैं कि अमेरिका की सीक्रेट सर्विस कितनी ताकतवर है।
साल 1865 में ट्रेजरी डिपार्टमेंट की शाखा के तौर पर सीक्रेट सर्विस शुरू की गई थी। पहले इसका काम जाली करेंसी को रोकना था। उस समय अमेरिका में फेक करेंसी बहुत बनाई जाती थी। 1901 में तत्कालीन राष्ट्रपति विलियम मैकिनले की न्यूयॉर्क में हत्या कर दी गई, जिसके बाद इस एजेंसी को राष्ट्रपति की सुरक्षा का भी जिम्मा दे दिया गया। वर्तमान में यह एजेंसी राष्ट्रपति, उपराष्ट्रपति की सुरक्षा के साथ-साथ अमेरिका में आर्थिक घोटालों पर नजर रखता है।
सीक्रेट सर्विस के पास वारंट इश्यू करने की शक्ति होती है। हालांकि ये बिना वारंट के भी गिरफ्तारी कर सकते हैं। सीक्रेट सर्विस की यूनिट में 1300 डिवीजन ऑफिसर्स और 2 हजार से ज्यादा टेक्निकल और सपोर्ट पर्सनल काम करते हैं। इनके पास 3200 स्पेशल एजेंट्स हैं। वर्तमान में किंबरली ए चीटल इसकी डायरेक्टर हैं। ट्रंप पर हमले के बाद से चीटल से इस्तीफे की मांग की जा रही है।
प्रभु जगन्नाथ ने बचा ली ट्रंप की जान! रथयात्रा से निकला गोलीबारी कांड का कनेक्शन
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