नई दिल्ली: पिछले दिनों भारत में बनी कफ सिरप के विवादों में रहने के बाद यहां बनी एक और दवा विवादों में है। बता दें,यह ताज़ा मामला आई ड्रॉप से जुड़ा है। अमेरिका में इन आई ड्रॉप्स की वजह से एक शख्स की जान चली गई। अमेरिकी स्वास्थ्य एजेंसी सेंटर फॉर डिजीज कंट्रोल एंड प्रिवेंशन […]
नई दिल्ली: पिछले दिनों भारत में बनी कफ सिरप के विवादों में रहने के बाद यहां बनी एक और दवा विवादों में है। बता दें,यह ताज़ा मामला आई ड्रॉप से जुड़ा है। अमेरिका में इन आई ड्रॉप्स की वजह से एक शख्स की जान चली गई। अमेरिकी स्वास्थ्य एजेंसी सेंटर फॉर डिजीज कंट्रोल एंड प्रिवेंशन ने इस संबंध में निर्देश देते हुए आबादी को एज़्रीकेयर आर्टिफिशियल टीयर्स नामक आई ड्रॉप्स के उपयोग को तुरंत निलंबित करने के लिए आदेश दिया है, यह निर्णय आई ड्रॉप्स के माध्यम से संक्रमण फैलने के बाद लिया गया था।
मिली जानकारी के मुताबिक, अब तक 55 से ज्यादा लोग इस संक्रमण से पीड़ित बताए जा रहे हैं, जबकि एक की मौत हो चुकी है। एक साल से भी कम समय में यह तीसरा मामला है जिसमें भारत निर्मित दवा पर विदेशों में मौत का आरोप लगाया गया है। इससे पहले पश्चिम अफ्रीकी देश गांबिया में भारतीय निर्मित खाँसी की दवाई पीने से कई बच्चों की मौत हो गई थी। तब इंडोनेशिया में भी एक भारतीय दवा कंपनी पर बच्चों की मौत का आरोप लगा था। विश्व स्वास्थ्य संगठन इन आरोपों की जाँच कर रहा है। अब नया मामला आई ड्रॉप से जुड़ा हुआ है।
अमेरिका में जिस आई ड्रॉप पर इस तरह के आरोप लगाए गए हैं उसका नाम एजरीकेयर है। यह दवा एक लुब्रिकेंट है जिसका उपयोग खुजली और सूखी आंखों के इलाज के लिए किया जाता है। यह कथित तौर पर संयुक्त राज्य अमेरिका में किसी भी फार्मेसी में ओवर-द-काउंटर खरीदा जा सकता है। हाल ही में संयुक्त राज्य अमेरिका में इस दवा का इस्तेमाल करने वाले कई रोगियों ने कहा है कि उन्होंने एजरीकेयर नामक दवा का इस्तेमाल किया और फिर एक संक्रमण के शिकार हो गए।
चिकित्सा विशेषज्ञों और शोधकर्ताओं का कहना है कि फेफड़ों के अलावा अमेरिका के 12 राज्यों में फैल चुका यह संक्रमण खून और पेशाब पर भी असर डाल रहा है. इस दवा का उपयोग करने से लोगों को होने वाली बीमारी कथित तौर पर स्यूडोमोनास एरुगिनोसा नामक जीवाणु के कारण होती है। हालांकि, शोधकर्ताओं ने इस जीवाणु को एजरीकेयर की खुली शीशियों में पाया है। इस दिशा में अभी शोध चल रहा है कि क्या बोतलों में पाए जाने वाले बैक्टीरिया लोगों को बीमार कर रहे हैं या यह संक्रमण कहीं और से आया है।
“लोगों के लिए यह समझना मुश्किल है कि आंखों में डाली जाने वाली दवा की बूंदों से रक्त संक्रमण कैसे हो सकता है। आंखों का कनेक्शन सीधे नाक से होता है। यानी बैक्टीरिया किसी व्यक्ति की आंखों से नाक तक और फिर सांस के जरिए उसके फेफड़ों तक जा सकता है। वहां से यह किसी भी अंग को संक्रमित कर सकता है। आई ड्रॉप्स के बारे में सवाल उठाने के बाद एजरीकेयर का कहना है कि उसे दवा को संक्रमण से जोड़ने वाला कोई सबूत नहीं मिला है। हालांकि कंपनी ने एहतियात के तौर पर बाजार में दवा का वितरण बंद कर दिया है। कंपनी ने अपनी वेबसाइट पर एक नोटिस पोस्ट कर लोगों से फिलहाल इसका इस्तेमाल नहीं करने को कहा है।
आपको बता दें, कंपनी ने कहा, “हम किसी भी तरह से लोगों तक पहुंच रहे हैं कि हम उन्हें इस समय इस दवा का उपयोग न करने की सलाह दे रहे हैं। हमने सीडीसी और एफडीए से भी संपर्क किया है और उनसे कहा है कि अगर उन्हें हमसे किसी तरह की उम्मीद है तो हम पूरा सहयोग करेंगे। एजरीकेयर के मुताबिक, ग्लोबल फार्मा हेल्थकेयर प्राइवेट नाम की कंपनी बनाती है। इस कंपनी की फैक्ट्री तमिलनाडु के चेन्नई में है। निर्माता ने दवा की वापसी के संबंध में अपनी वेबसाइट पर एक नोटिस भी पोस्ट किया है।