नई दिल्ली: जब अपने शहर से बाहर किसी दूसरे शहर में जाते हैं तो सबसे पहले रुकने के लिए होटल ढूंढते है. वहीं पर होटल मालिक सुख सुविधा के लिए कई तरह के इंतजाम भी रखते हैं. वैसे तो आपने बहुत तरह के होटल देखे होंगे, लेकिन आज हम आपको जिस होटल के बारे में […]
नई दिल्ली: जब अपने शहर से बाहर किसी दूसरे शहर में जाते हैं तो सबसे पहले रुकने के लिए होटल ढूंढते है. वहीं पर होटल मालिक सुख सुविधा के लिए कई तरह के इंतजाम भी रखते हैं. वैसे तो आपने बहुत तरह के होटल देखे होंगे, लेकिन आज हम आपको जिस होटल के बारे में बताने जा रहे हैं उसमें कभी कोई रुका नहीं है।
जर्मनी के बाल्टिक सागर के रुगेन आइलैंड एक होटल है, जो 80 साल से बंद पड़ा है. यह जानकर शायद आपको हैरानी होगी कि इस होटल में दस हजार कमरे हैं, लेकिन उससे भी अधिक हैरानी की बात ये है कि आज तक इस होटल में कोई भी मेहमान नहीं रुका है. रुगेन आइलैंड पर बने इस होटल का निर्माण 1936 से 1939 के बीच हुआ था. तब जर्मनी में हिटलर राज था. इसे तैयार करने में लगभग 9 हजार मजदूर लगे थे।
इसका नाम प्रोरा होटल है. यह नाम रखने के पीछे एक वजह थी. प्रोरा का अर्थ झाड़ीदार मैदान या बंजर भूमि (धरती) होता है. इस होटल को समुद्र के रेतीले तट से लगभग 150 मीटर दूर बनाया गया है. प्रोरा होटल 8 आवास खंडों में बंटा हुआ है और 4.5 किलोमीटर के क्षेत्र में फैला हुआ है. इसमें सिनेमाघर, फेस्टिवल हॉल और स्वीमिंग पूल भी तैयार किया गया था. यहां एक क्रूज शिप भी आराम से खड़ा हो सकता है.
जब इस होटल का निर्माण कार्य चल रहा था. तब इस बीच द्वितीय विश्व युद्ध शुरू हो गया और इसके बाद निर्माण कार्य को बंद करना पड़ गया, क्योंकि सभी मजदूरों को हिटलर के युद्ध कारखानों में काम करने के लिए भेज दिया गया. अब ये होटल एक खंडहर बन चुका है. कहा जाता है कि अगर यह पूरी तरह बनकर तैयार हो जाता तो विश्व का सबसे बड़ा और सबसे अच्छा होटल होता।
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