ललकार दिया… हिंदू इस्लाम कबूल करें नहीं तो मर जाए, क्या आने वाला है तालिबान शासन!

नई दिल्ली: बांग्लादेश में माहौल बेहद खराब हो चुका है. लोग एक दूसरे के जान के प्यासे हो चुके हैं. वहीं बांग्लादेश में कट्टरपंथी मुसलमानों द्वारा हिंदुओं का नरसंहार किए जा रहा है, जिससे दुनिया भर के कई इस्लामवादियों की हत्या की कल्पनाएँ बढ़ गई हैं, जो इस बात के इंतज़ार में है कि आखिर […]

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ललकार दिया…  हिंदू इस्लाम कबूल करें नहीं तो मर जाए, क्या आने वाला है तालिबान शासन!

Zohaib Naseem

  • August 20, 2024 9:00 am Asia/KolkataIST, Updated 3 months ago

नई दिल्ली: बांग्लादेश में माहौल बेहद खराब हो चुका है. लोग एक दूसरे के जान के प्यासे हो चुके हैं. वहीं बांग्लादेश में कट्टरपंथी मुसलमानों द्वारा हिंदुओं का नरसंहार किए जा रहा है, जिससे दुनिया भर के कई इस्लामवादियों की हत्या की कल्पनाएँ बढ़ गई हैं, जो इस बात के इंतज़ार में है कि आखिर बांग्लादेश में हिन्दू भी ख़त्म कर दिया जाएगा.

 

नफरत फैलाता है

 

बता दें कि संयुक्त राज्य अमेरिका में रहने वाला अबू नज्म फर्नांडो बिन अल-इस्कंदर भी एक कट्टरपंथी है, जो वह ‘इस्लामिक अध्ययन’ में विशेषज्ञता वाला PhD छात्र बताता है. इतना ही नहीं वो खुद को ‘स्वदेशी मुसलमान’ भी बताता है. उसने अपनी लाइफ में 20 से ज़्यादा साल ‘इस्लामिक विज्ञान’ पर शोध और अध्यापन में बिताए हैं, लेकिन उसका मुख्य पेशा कुफ़र या गैर-मुस्लिम के ख़िलाफ़ नफ़रत फैलाता है. वहीं मुसलमानों को उनकी हत्या करने के लिए भड़काता है.

 

खुशी जाहिर की

 

आपको तो यादा ही होगा कि पूर्व पीएम शेख हसीना ने इस्तीफा दे दिया था. हालांकि उनके इस्तीफा देने के बाद हिन्दू विरोधी हिंसा के बाद, अबू नज्म ने इस विनाशकारी घटनाक्रम पर अपनी खुशी जाहिर की और देश से हिंदुओं के पूर्ण विनाश की वकालत की. उसने अपने एक्स पर लिखा कि, यह सच है कि न्यायशास्त्र के चार स्कूलों में से तीन का यह मानना ​​है कि हिंदुओं के पास केवल दो विकल्प होने चाहिए, इस्लाम अपनाए या फिर मर जाए.

 

दो विकल्प दिए गए थे

 

यह बात उसने एक हिंदू के लिए नहीं कही, बल्कि सभी हिन्दुओं के लिए कही है, चाहे वो कोई भी कास्ट के हो. बता दें कि, अफ़ग़ानिस्तान में भी जब तालिबान शासन आया था, उसके बाद हिन्दू-सिखों को भी यही विकल्प दिए गए थे. आपको एक बार फिर से याद दिला दे कि 1990 में कश्मीर में भी यही विकल्प थे. हालांकि अबू नज्म ने यह बात कह कर कोई नई बात नहीं कही है, ये तो सदियों से चलता आ रहा, लेकिन ऐसा तब से हो रहा जब से आबादी बढ़ी है.

 

 

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