September 19, 2024
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अडानी मामले में हिंडनबर्ग का नया खुलासा, इस बार SEBI चेयरपर्सन भी घिरे

  • WRITTEN BY: Anjali Singh
  • LAST UPDATED : August 10, 2024, 11:13 pm IST

नई दिल्ली: अमेरिकी शॉर्ट सेलर फर्म हिंडनबर्ग रिसर्च ने एक बार फिर अडानी समूह से जुड़े एक नए मामले में बड़ा दावा किया है। इस बार उनके निशाने पर भारतीय प्रतिभूति और विनिमय बोर्ड (SEBI) की चेयरपर्सन माधवी पुरी बुच और उनके पति हैं। रिपोर्ट के अनुसार, दोनों की अडानी मनी साइफनिंग घोटाले में इस्तेमाल की गई अपतटीय (ऑफशोर) फंडों में हिस्सेदारी रही है।

रिपोर्ट का दावा

हिंडनबर्ग रिसर्च ने अपनी ताजा रिपोर्ट में बताया कि 18 महीने पहले उन्होंने अडानी समूह पर जो आरोप लगाए थे, उनमें मॉरीशस स्थित शेल कंपनियों के एक बड़े नेटवर्क का खुलासा किया गया था। इन कंपनियों का इस्तेमाल संदिग्ध तरीकों से अरबों डॉलर के अघोषित लेन-देन, निवेश और स्टॉक में हेरफेर के लिए किया जा रहा था। इस नेटवर्क के बावजूद SEBI ने अभी तक अडानी समूह के खिलाफ कोई सार्वजनिक कार्रवाई नहीं की है। इसके बजाय, SEBI ने 27 जून, 2024 को हिंडनबर्ग को एक ‘कारण बताओ’ नोटिस भेजा।

SEBI का रवैया और हिंडनबर्ग की प्रतिक्रिया

हिंडनबर्ग के मुताबिक, SEBI ने उनके 106 पेज के विश्लेषण में कोई तथ्यात्मक त्रुटि नहीं पाई, लेकिन सबूतों को अपर्याप्त करार दिया। इस रिपोर्ट के बाद SEBI के रवैये पर सवाल उठ रहे हैं, खासकर तब जब यह दावा किया जा रहा है कि SEBI चेयरपर्सन की भी अपतटीय संस्थाओं में हिस्सेदारी है।

जनवरी 2023 का खुलासा

इससे पहले, 24 जनवरी 2023 को हिंडनबर्ग ने अडानी समूह पर शेयरों में हेरफेर और ऑडिटिंग फ्रॉड का आरोप लगाते हुए एक रिपोर्ट प्रकाशित की थी। उन्होंने इसे ‘कॉरपोरेट इतिहास का सबसे बड़ा घोटाला’ बताया था। इस रिपोर्ट के बाद अडानी समूह के शेयरों में भारी गिरावट आई थी, जिससे गौतम अडानी की संपत्ति और रैंकिंग में बड़ी गिरावट देखी गई। हालांकि, SEBI ने उस वक्त हिंडनबर्ग के दावों को खारिज कर दिया था।

आगे की जांच और संभावित प्रभाव

हिंडनबर्ग के नए खुलासे ने SEBI की स्वतंत्रता और निष्पक्षता पर गंभीर सवाल खड़े कर दिए हैं। अगर इस मामले की गहन जांच होती है और आरोप सही साबित होते हैं, तो SEBI की साख पर गंभीर असर पड़ सकता है। अब देखना यह है कि SEBI इस मामले में क्या रुख अपनाता है और सरकार इस पर क्या कदम उठाती है।

 

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