तेहरानः ईरान में महिलाएं और सरकार आमने – सामने है। महिलाएं हिजाब कानून के खिलाफ मुखर है। ईरान में हिजाब को लेकर कड़े नियम लागू है।
अगर 43 साल पहले जाए तो ईरान ऐसा नहीं था। पश्चिमी सभ्यता के कारण यहां उदारवादी नियम लागू था। पहनावे को लेकर किसी तरह की पाबंदी नहीं थी। महिलाएं अपने हिसाब से कपड़े पहन सकती थी, कहीं भी आ-जा सकती थीं। साल 1979 के बाद ईरान बदल गया। उस समय वहां इस्लामिक क्रांति का दौर आया। सत्ता परिवर्तन हुआ। धार्मिक नेता अयातुल्लाह खोमैनी ने शाह मोहम्मद रेजा पहलवी को हटाकर सत्ता की बागडोर अपने हाथ में ले ली और पूरे देश में शरिया कानून लागू कर दिया।
हिजाब को लेकर नीदरलैंड की टिलबर्ग यूनिवर्सिटी के असिस्टेंट प्रोफेसर अम्मार मालकी ने 2020 में ईरान में एक सर्वे किया। ईरानी मूल के लगभग 50 हजार लोग सर्वे का हिस्सा बने। 15 दिन चलने वाले इस सर्वे का नतीजा आया तो हर किसी को चौंका दिया। नतीजे में पाया गया कि ईरान की 72 फीसदी आबादी हिजाब को अनिवार्य किए जाने के विरूद्ध है।
आजकल ईरान में हिजाब को लेकर प्रदर्शन काफी तेज है। यह बीते दिनों की घटना है जिसमें हिजाब नहीं पहनने के चलते एक युवती को धार्मिक मामलों की पुलिस ने गिरफ्तार किया। और उसकी कस्टडी में पिटाई की गई। पिटाई से युवती की हालत गंभीर हो गई और कुछ दिनों में ही उसकी मृत्यु भी हो गई। इस युवती का नाम महसा अमीनी है। ईरान की आम जनता खासकर महिलाओं ने हिजाब से जुड़े कानूनों के खिलाफ प्रदर्शन कर रही है। माहसा अमीनी की मौत के हिजाब को लेकर हो रहे इस आंदोलन में महिलाए अपनी हिजाब उतारकर उसे जला रही हैं। अपने बालों को भी काट रही हैं।
Hijab Controversy:जानिए हिजाब का इतिहास, जिसे लेकर ईरान समेत विश्वभर में मचा है हंगामा
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