नई दिल्ली: स्विट्जरलैंड में 1 जनवरी से हिजाब पर पूर्ण प्रतिबंध लागू होने जा रहा है, जिस पर ब्रिटिश मुस्लिम यूट्यूबर लुबना जैदी ने प्रतिक्रिया दी है। लुबना ने इसे सही कदम बताया और कहा कि कई मुस्लिम महिलाओं को लगता है कि वे अपनी मर्जी से हिजाब पहनती हैं. हालांकि हकीकत में उन्हें बचपन […]
नई दिल्ली: स्विट्जरलैंड में 1 जनवरी से हिजाब पर पूर्ण प्रतिबंध लागू होने जा रहा है, जिस पर ब्रिटिश मुस्लिम यूट्यूबर लुबना जैदी ने प्रतिक्रिया दी है। लुबना ने इसे सही कदम बताया और कहा कि कई मुस्लिम महिलाओं को लगता है कि वे अपनी मर्जी से हिजाब पहनती हैं. हालांकि हकीकत में उन्हें बचपन से इसके लिए मानसिक रूप से तैयार किया जाता है। उन्होंने पाकिस्तानी समाज और प्रवासियों पर आरोप लगाते हुए कहा कि वे दूसरे देशों में अनुशासन का पालन नहीं करते और समस्याएं खड़ी करते हैं।
यूट्यूबर शोएब मलिक के साथ बातचीत में लुबना ने हिजाब को लेकर सुरक्षा चिंताओं का भी उल्लेख किया। उन्होंने कहा कि यूरोप के कई शहरों में सड़कों पर सीसीटीवी कैमरे लगे हैं ताकि सुरक्षा के लिहाज से लोगों पर नजर रखी जा सके। लेकिन चेहरा ढका होने से कैमरों की उपयोगिता प्रभावित होती है, जिससे सुरक्षा में कमी आती है। उनका मानना है कि खुले चेहरों से सुरक्षा व्यवस्था बेहतर हो सकती है।
लुबना ने पाकिस्तान के लोगों पर टिप्पणी करते हुए कहा कि वे अपने देश में सुधार करने के बजाय विदेशी देशों में इनडिसिप्लिन फैलाते हैं। उन्होंने यह भी कहा कि सऊदी अरब भी इस स्थिति से परेशान हो चुका है। आगे उन्होंने शिक्षा और इस्लाम के संतुलन पर जोर देते हुए कहा कि इस्लाम के साथ पढ़ाई-लिखाई का भी महत्व है, जिसे कई लोग नज़रअंदाज करते हैं।
लुबना ने पाकिस्तानी मौलानाओं पर भी निशाना साधा और कहा कि वे फतवे जारी कर लोगों की जिंदगी को जोखिम में डाल देते हैं। उनका कहना है कि मौलाना इस्लाम की सही बातें लोगों तक नहीं पहुंचाते। उन्होंने मुस्लिमों से अपील की कि वे खुद कुरान पढ़ें और उसकी शिक्षा को समझें। इसके साथ ही, उन्होंने यह भी कहा कि पाकिस्तानियों का भारतीयों से कोई मुकाबला नहीं है और पाकिस्तान का अलग राष्ट्र बनना गलत था।
लुबना ने चरमपंथ पर अपनी नाराजगी व्यक्त करते हुए कहा कि इस्लाम चरमपंथ को बढ़ावा नहीं देता। पैगंबर ने भी हदीसों में चरमपंथ से बचने की सलाह दी थी। इतना ही नहीं लुबना ने कहा कि पहले वह जाकिर नाइक जैसे उपदेशकों को सुनती थीं, लेकिन कुरान का खुद अध्ययन करने पर उन्हें इस्लाम का असली मतलब समझ आया।
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