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महाद्वीपों को उठा रही धरती के नीचे छिपी ये शक्ति, भारत भी है प्रभावित

धरती के अंदर चल रही हलचल और महाद्वीपों के उठने की प्रक्रिया को लेकर वैज्ञानिकों ने एक अहम खुलासा किया है। इंग्लैंड की साउथहैम्प्टन यूनिवर्सिटी

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hidden power under earth lifting the continents India also affected
  • August 9, 2024 11:18 pm Asia/KolkataIST, Updated 5 months ago

नई दिल्ली: धरती के अंदर चल रही हलचल और महाद्वीपों के उठने की प्रक्रिया को लेकर वैज्ञानिकों ने एक अहम खुलासा किया है। इंग्लैंड की साउथहैम्प्टन यूनिवर्सिटी के वैज्ञानिकों ने अध्ययन किया है कि टेक्टोनिक प्लेटों के टूटने से पृथ्वी के भीतर शक्तिशाली लहरें उठती हैं, जिससे महाद्वीपीय सतहें ऊपर उठ जाती हैं। कभी-कभी यह उठाव एक किलोमीटर से भी अधिक हो सकता है।

कैसे होती है महाद्वीपों की उठान

साउथहैम्प्टन विश्वविद्यालय के पृथ्वी विज्ञान के प्रोफेसर और इस अध्ययन के प्रमुख लेखक, टॉम गर्नन, बताते हैं कि महाद्वीपीय दरारों के कारण विशाल चट्टानें ऊपर उठती हैं। उदाहरण के लिए, पूर्वी अफ़्रीकी रिफ्ट वैली और इथियोपियाई पठार की दीवारें। ये चट्टानें महाद्वीपों के स्थिर केंद्रों से उठने वाले आंतरिक पठारों को घेरती हैं। हालांकि, इन लैंडस्केप फीचर्स का निर्माण करोड़ों सालों के अंतराल में होता है, जिससे वैज्ञानिक मानते थे कि ये अलग-अलग प्रक्रियाओं से बनते हैं।

भारत का पश्चिमी घाट भी हो रहा है प्रभावित

एक रिपोर्ट के मुताबिक, टॉम गर्नन और उनकी टीम ने धरती के आखिरी सुपरकॉन्टीनेंट के टूटने के बाद बनी खाई दीवारों का अध्ययन किया। इनमें से एक दीवार भारत का पश्चिमी घाट है, जो 2000 किलोमीटर लंबा है। इसके अलावा ब्राजील का हाईलैंड प्लेट्यू 3000 किलोमीटर लंबा है, और दक्षिण अफ्रीका का सेंट्रल प्लेट्यू 6000 किलोमीटर लंबा है। इन पठारों के नीचे के हिस्से कई किलोमीटर ऊपर उठे हैं, जिसके पीछे पृथ्वी के अंदर उठ रही लहरें हैं।

धीमी गति से हो रहा है परिवर्तन

रिसर्च के मुताबिक, महाद्वीपों के उठने की यह प्रक्रिया बहुत धीमी होती है। हर दस लाख साल में ये पठार 15 से 20 किलोमीटर बढ़ते हैं। इस कारण पठारों का आकार लगातार बदलता रहता है। टॉम गर्नन कहते हैं कि महाद्वीपों के टूटने से पृथ्वी की गहरी परतें तो प्रभावित होती ही हैं, साथ ही महाद्वीपों की सतह पर भी इसका असर साफ देखा जा सकता है। इसे पहले स्थिर माना जाता था, लेकिन अब यह स्पष्ट है कि धरती के अंदर चल रही गतिविधियां सतह पर भी बदलाव ला रही हैं।

 

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