नई दिल्ली। सिंगापुर सरकार ने गंदे जल को पुनर्चक्रित करने का एक अनूठा तरीका खोजा है। यहां की राष्ट्रीय जल एजेंसी एक स्थानीय बियर कंपनी के सहयोग से नाली के पानी और यूरिन से बीयर बना रही है। इसका नाम ‘न्यूब्रू’ रखा गया है। वर्तमान में इसे दुनिया की सबसे पर्यावरण के अनुकूल बियर के […]
नई दिल्ली। सिंगापुर सरकार ने गंदे जल को पुनर्चक्रित करने का एक अनूठा तरीका खोजा है। यहां की राष्ट्रीय जल एजेंसी एक स्थानीय बियर कंपनी के सहयोग से नाली के पानी और यूरिन से बीयर बना रही है। इसका नाम ‘न्यूब्रू’ रखा गया है। वर्तमान में इसे दुनिया की सबसे पर्यावरण के अनुकूल बियर के रूप में प्रचारित किया जा रहा है।
न्यूब्रू को निवाटर से बनाया गया है। यह एक प्रकार का पानी है जिसे पुनर्नवीनीकरण किया जाता है और नाले में फ़िल्टर कर सिंगापुर जल आपूर्ति में पंप किया जाता है। यह काम सिंगापुर सरकार पिछले 20 साल से कर रही है। इंडिपेंडेंट की रिपोर्ट के मुताबिक गंदे पानी को इस तरह से फिल्टर किया जाता है कि वह पीने के लिए साफ पानी बन जाए। बियर कंपनी के अनुसार न्यूब्रू में केवल 95% निवाटर मिलाया जाता है।
न्यूब्रू 8 अप्रैल को लॉन्च हो गई है इसे सिंगापुर की जल एजेंसी पब और स्थानीय शिल्प बियर कंपनी ब्रेवर्क्ज़ द्वारा संयुक्त रूप से बनाया गया है। इस परियोजना को सिंगापुर इंटरनेशनल वाटर वीक (SIWW) द्वारा भी समर्थन दिया गया है। Newbrew देश में सभी शराब की दुकानों और बार में उपलब्ध है।
सिंगापुर जल एजेंसी का कहना है कि अगले कुछ वर्षों में पूरी दुनिया को जल संकट का सामना करना पड़ सकता है। ऐसे में हमें पानी को बचाने और पुनर्चक्रण के लिए हर संभव प्रयास करना चाहिए। बियर बनाने के लिए बहुत अधिक पानी की आवश्यकता होती है, क्योंकि यह 90% H2O होता है। तो न्यूब्रू लोगों को इसके बारे में जागरूक करने की एक पहल है।
कंपनी का कहना है कि रिसाइकिल किए गए पानी से बीयर का स्वाद नहीं बदलता है। बीयर के विज्ञापन के मुताबिक, इस बियर का स्वाद हल्का भुना हुआ और शहद जैसा होता है। यह शराब गर्मियों में सिंगापुर के लोगों की प्यास बुझाएगी।
दरअसल, सिंगापुर में चारों ओर समुद्र के पानी से घिरे लोगों को पीने के पानी की कमी का सामना करना पड़ता है। ऐसे में सरकार इस कमी को पूरा करने के लिए कई सालों से नए-नए तरीके अपना रही है। एक रिपोर्ट के मुताबिक, सिंगापुर को मजबूरन मलेशिया से पीने का पानी खरीदना पड़ रहा है। देश में वर्षा जल भी एकत्र किया जाता है। इन सबके बावजूद यहां पानी की जरूरत का 50 फीसदी ही पूरा होता है।
सिंगापुर की आबादी 2060 तक बढ़ जाएगी, जिससे पानी की मांग दोगुनी हो जाएगी। ऐसे में लोगों के पास पानी और समुद्र के पानी को साफ पानी में बदलने के अलावा और कोई विकल्प नहीं बचेगा।
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