नई दिल्ली. बीते दिन साउथ कोरिया की राजधानी सियोल में कुछ ही मिनटों में जश्न का माहौल मातम में बदल गया. यहाँ बीते दिन हैलोवीन पार्टी में तक़रीबन 151 लोगों की मौत हो गई, जबकि 100 से ज्यादा लोग अभी भी अस्पताल में भर्ती हैं और ज़िन्दगी और मौत की जंग लड़ रहे हैं. दरअसल, […]
नई दिल्ली. बीते दिन साउथ कोरिया की राजधानी सियोल में कुछ ही मिनटों में जश्न का माहौल मातम में बदल गया. यहाँ बीते दिन हैलोवीन पार्टी में तक़रीबन 151 लोगों की मौत हो गई, जबकि 100 से ज्यादा लोग अभी भी अस्पताल में भर्ती हैं और ज़िन्दगी और मौत की जंग लड़ रहे हैं. दरअसल, तीन साल से कोरोना के वजह से यहाँ इतने बड़े स्तर पर किसी भी पार्टी का आयोजन नहीं किया गया था, और कोरोना काल के बाद इस साल इतने बड़े पैमाने पर किसी पार्टी का आयोजन किया लेकिन ये जश्न मातम में बदल गया. इस घटना के बाद कोरियन सरकार ने सभी हैलोवीन पार्टी पर बैन लगा दिया है. वैसे तो हैलोवीन पार्टी के बारे में आमतौर पर लोग बस इतना ही जानते हैं कि इस पार्टी में लोग भूतिया कपड़ो में तैयार होकर आते हैं और जश्न मनाते हैं, वहीं हैलोवीन डे के आखिरी दिन कद्दू दफनाया जाता है लेकिन ये पार्टी क्यों रखी जाती है और इसका मतलब क्या है इसके बारे में आइए आपको बताते हैं-
31 अक्टूबर को हैलोवीन डे मनाया जाता है, दरअसल, ईसाई समुदाय में सेल्टिक कैंलेंडर का आखिरी दिन 31 अक्टूबर होता है इसलिए इस दिन हैलोवीन फेस्टिवल मनाया जाता है. वहीं, पश्चिम में अमेरिका, इंग्लैंड और यूरोपियन देशों के कई राज्यों में इसे नए साल की शुरुआत के तौर पर मनाया जाता है. इस दिन लोग डरावने या यूं कहें कि भूतिया गेटअप में तैयार होकर सड़कों पर निकलते हैं. हैलोवीन पार्टी सदियों से मनाया जा रहा है, धीरे-धीरे अब विदेशों के साथ ही भारत में भी इसका प्रचलन बढ़ता जा रहा है. बीते दिन बॉलीवुड ने भी हैलोवीन पार्टी का आयोजन किया गया था. खैर, हैलोवीन की बात करें तो इसकी शुरुआत सबसे पहले आयरलैंड और स्कॉटलैंड से हुई थी, वहीं ईसाई समुदाय के लोगों की ऐसी मान्यता रहती है कि हैलोवीन डे के दिन भूतों का गेटअप करने से उनकी पूर्वजों की आत्मा को शान्ति मिलती है, इसलिए ये हैलोवीन डे मनाते हैं.
अब अगर हम हैलोवीन के शाब्दिक अर्थ की ओर जाएं तो इसका मतलब है आत्माओं का दिन, हैलोवीन पश्चिम के देशों का एक प्रसिद्ध त्योहार है, जिसका मकसद पूर्वजों की आत्मा को शांति पहुँचाना है, पहले के ज़माने में हैलोवीन का आयोजन करना किसी बड़े टास्क से कम नहीं था क्योंकि डरावने कपड़ों और गेटअप के साथ लोगों को देख माहौल काफी खराब हो जाता था इसलिए कोई इसके लिए मानता नहीं था. हालांकि, अब इसका आयोजन काफी आसान हो गया है और अब लोग शौक से इस दिन भूतिया कपड़ों में तैयार होते हैं, इसे लेकर बहुत तरह की कहानियां भी जग जाहिर हैं.
हैलोवीन के आखिरी दिन कद्दू को दफनाने की एक परंपरा चली आ रही है, दरअसल कद्दू को पूर्वजों का प्रतीक माना जाता है. इस दिन लोग कद्दू को खाली कर उसमें मोमबत्तियां डाल देते हैं और फिर डरावनी तस्वीर बनाते हैं. कई लोग इसे अपने घर के बाहर अंधेरे में पेड़ों पर भी टांग देते हैं, इसके साथ ही हैलोवीन त्योहार के मौके पर ट्रिक और ट्रीट काफी अहम होता है. दरअसल, हैलोवीन के दौरान जब बच्चे अपने रिश्तेदारों या पड़ोसियों से मिलते हैं तो इसे ट्रिक या ट्रीट कहते हैं, ऐसे में बच्चों को खाने के लिए चॉकलेट्स या कुछ चीजें उपहार में दी जाती हैं.
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