नई दिल्ली : भारत और पाकिस्तान के बंटवारे से लाखो लोग प्रभावित हुए थे. ना सिर्फ लोग इमारतों और निर्माण कार्यों पर भी इसका बुरा प्रभाव देखने को मिला था. इसी बंटवारे का दंश पाकिस्तान के एक गुरुद्वारे पर ने भी झेला जिसका निर्माण कार्य देश के विभाजन के साथ रुक गया था. अब इस […]
नई दिल्ली : भारत और पाकिस्तान के बंटवारे से लाखो लोग प्रभावित हुए थे. ना सिर्फ लोग इमारतों और निर्माण कार्यों पर भी इसका बुरा प्रभाव देखने को मिला था. इसी बंटवारे का दंश पाकिस्तान के एक गुरुद्वारे पर ने भी झेला जिसका निर्माण कार्य देश के विभाजन के साथ रुक गया था. अब इस गुरुद्वारे का निर्माण पूरा किया जा रहा है. क्या है इसकी कहानी आइये आपको बताते हैं.
आज से लगभग आठ दशक पहले यानी वो समय जब भारत और पकिस्तान अलग हुए तब पाकिस्तान के सियालकोट में एक गुरुद्वारे का निर्माण कार्य शुरू हुआ था लेकिन 1947 में विभाजन के कारण इस गुरुद्वारे का निर्माण कार्य कभी पूरा नहीं हो पाया. मान्यता है कि सिखों के पहले गुरु नानक देव अपनी चौथी उदासी (भ्रमण) के दौरान इसी जगह पर ठहरे थे. एक मीडिया रिपोर्ट की मानें लगभग 75 साल की बदहाली के बाद अब पकिस्तान के गुरुद्वारा नानकसर (Gurdwara Nanaksar) का निर्माण कार्य एक बार फिर शुरू किया जा रहा है.
ये कहानी शुरू होती है साल 1944 में जब पाकिस्तान के सियालकोट जिले की दस्का तहसील में गुरुद्वारा नानकसर बनाने का फैसला हुआ. इसका निर्माण कार्य भी आरंभ कर दिया गया था लेकिन समय के साथ देश विभाजित हुआ और इसका निर्माण रुक गया. ख़बरों की मानें तो पाकिस्तान का Evacuee Trust Property Board (ETPB) इसका निर्माण कार्य पूरा करा रहा है. ईटीपीबी के चेयरमैन हबीब उर रहमान की मानें तो उन्होंने ऐतिहासिक गुरुद्वारे नानकसर के रेनोवेशन और रेस्टोरेशन का काम फिर शुरू करवा दिया है. यह गुरुद्वारा पाकिस्तान के पंजाब प्रांत की दस्का के फतेह भिंडर गांव में स्थित है.
जानकारी के अनुसार गुरुद्वारे के निर्माण के लिए स्थानीय सिखों ने अपनी कई जमीनें दान की थीं और अभी भी 10 एकड़ से अधिक जमीन गुरुद्वारे नानकसर के निर्माण के लिए मौजूद है. बता दें, ऐसे कई मामले हैं जब भारत से कई सिखों ने पाकिस्तान जाकर गुरुद्वारे नानकसर का दौरा किया है. इसकी जर्जर इमारतें कभी बेइंतहा खूबसूरत हुआ करती थी.
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