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फ्रेंडशिप डे स्‍पेशल: दोस्ती ने गूगल जैसी कंपनी को खड़ा कर दिया, इन कहानियों से जानिए कैसे आगे बढ़ाते हैं ज़िंदगी

नई दिल्ली: कहा जाता है कि दोस्‍ती में कोई रूल नहीं होता और इसे सिखाने के लिए कोई पाठशाला नहीं होती है। दोस्त वही होते हैं जो जिंदगी की दौड़ में आगे बढ़ाए। दोस्‍ती में आप जैसे हैं वैसे ही आपको स्वीकार करता है और सबसे अहम बात वह आपको आगे बढ़ने में सहायता करता […]

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Friendship Day Special: Friendship made a company like Google
  • August 7, 2022 3:10 pm Asia/KolkataIST, Updated 2 years ago

नई दिल्ली: कहा जाता है कि दोस्‍ती में कोई रूल नहीं होता और इसे सिखाने के लिए कोई पाठशाला नहीं होती है। दोस्त वही होते हैं जो जिंदगी की दौड़ में आगे बढ़ाए। दोस्‍ती में आप जैसे हैं वैसे ही आपको स्वीकार करता है और सबसे अहम बात वह आपको आगे बढ़ने में सहायता करता है। आज आपको बताते हैं…उन दोस्तों की कहानी जिन्होंने अपने दोस्त को सफलता के शिखर तक पहुंचा दिया।

स्‍टेनफोर्ड यूनिवर्सिटी में लैरी और सर्गेई ब्रिन की हुई मुलाकात

गूगल जो डेली लाइफ में शामिल है। जिसने दुनिया को समझने के लिए आसान बनाया। क्‍या आपको पता है कि इसके पीछे दो दोस्‍तों का हाथ है। लैरी पेज और सर्गेई ब्रिन की दोस्‍ती से गूगल जैसी विशाल कंपनी अस्तित्व में आई। आप सही सोच रहे है, साल 1995 में लैरी और सर्गेई ब्रिन की मुलाकात अमेरिका की एक स्‍टेनफोर्ड यूनिवर्सिटी में हुई थी। शुरूआत में दोनों एक-दूसरे से बहुत संकोच थे।

दुनिया की 8वीं सबसे बड़ी कंपनी है गूगल

एक रिसर्च प्रोजेक्‍ट के वजह से दोनों को एक साथ काम करने का मौका मिला। इस रिसर्च प्रोजेक्‍ट में साथ काम करते वक्‍त दोनों में काफी गहरी दोस्‍ती हो गई और देखते ही देखते रिसर्च प्रोजेक्‍ट के तर्ज पर दोनों जीनियस ने गूगल खड़ा कर दिया। आज गूगल दुनिया की 8वीं सबसे बड़ी कंपनी है, वहीं इसका मार्केट कैप लगभग 122 लाख करोड़ है।

स्‍टीव के लिए एप्पल को खरीदने वाले थे लैरी

दुनिया के सबसे सफल लोगों में से एक जॉब्स ओरेकल कंपनी के फाउंडर लैरी एलीसन के बेहद करीबी दोस्त थे। एक वह दौर था जब स्‍टीव जॉब्स को एप्पल से बाहर कर दिया गया था। उन दिनों स्‍टीव नेक्‍सट नाम की एक कंपनी के CEO थे। एक दिन ऐसा आया जब स्‍टीव और लैरी हाईकिंग पर निकले और उसी दौरान लैरी ने स्‍टीव से बातों-बातों में बोल दिया कि मैं तुम्हारे लिए एप्पल को खरीदना चाहता हूं। स्‍टीव इस बात पर राजी नहीं हुए। साथ ही उन्होंने लैरी से बताया कि मैं एप्पल में पैसे के बल पर वापस नहीं जाना चाहता। मैं एप्पल में तभी कदम रखूंगा जब एप्पल मेरी कंपनी नेक्‍सट खरीदे और मुझे एप्पल के बोर्ड में वह शामिल करना चाहे।

लैरी ने स्‍टीव के फैसले का सम्मान दिया और उनकी यह बात मान ली। जिस समय लैरी ने स्‍टीव के लिए एप्पल खरीदने की बात की थी उस वक्त एप्पल की वैल्यूएशन 5 बिलियन डॉलर से अधिक थी। लेकिन धीरे-धीरे उसके प्रोडक्ट फेल होने पर स्टीव जॉब्स की कंपनी में वापसी हुई।

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