नई दिल्लीः मानव तस्करी की आशंका के आधार पर लीजेंड एयरलाइंस का विमान फ्रांस में चार दिन रोके जाने का मामला सामने आया था। 276 यात्रियों के साथ विमान मंगलवार को मुंबई पहुंचा था। इस मामले में लीजेंड एयरलाइंस के वकील ने बताया की, निकारागुआ के लिए भुगतान करने वाले यात्री, वापस नहीं लौटना चाहते […]
नई दिल्लीः मानव तस्करी की आशंका के आधार पर लीजेंड एयरलाइंस का विमान फ्रांस में चार दिन रोके जाने का मामला सामने आया था। 276 यात्रियों के साथ विमान मंगलवार को मुंबई पहुंचा था। इस मामले में लीजेंड एयरलाइंस के वकील ने बताया की, निकारागुआ के लिए भुगतान करने वाले यात्री, वापस नहीं लौटना चाहते थे। विमानन कंपनी के वकील ने कहा, मध्य अमेरिकी देश निकारागुआ और संयुक्त अरब अमीरात (UAE) से सहायता की अपील के बावजूद उन्हें निराशा हाथ लगी। संकट के वक्त केवल भारत ही सहायता करने को तैयार हुआ।
मंगलवार तड़के मुंबई पहुंचे इस विमान को ‘डंकी’ फ्लाइट भी कहा जा रहा है। समाचार एजेंसी एपी की रिपोर्ट के मुताबिक, लीजेंड एयरलाइंस की वकील लिलियाना बाकायोको ने जानकारी दी की, कुछ यात्री भारत नहीं लौटना चाहते थे क्योंकि ये लोग पर्यटकों के रूप में निकारागुआ जाने के लिए भुगतान कर चुके थे। 22 दिसंबर को UAE से रवाना हुई फ्लाइट के संचालकों ने ‘मानव तस्करी’ जैसे आपराधिक कृत्य में शामिल होने से इनकार किया है। कंपनी ने कहा कि कुछ यात्रियों के पास वापसी के टिकट और होटल में आरक्षण के प्रमाण भी थे।
एयरलाइंस की तरफ से जारी बयान के मुताबिक, कुल 303 यात्री डंकी फ्लाइट में सवार थे। विमान फ्रांस में रोके जाने के बाद दो नाबालिगों सहित 25 लोगों ने फ्रांस में शरण मांगी। फ्रांसीसी अधिकारियों ने कथित अवैध आप्रवासन के आरोप में दो लोगों को पकड़ लिया। 25 लोगों को पेरिस के चार्ल्स डी गॉल हवाई अड्डे के एक विशेष क्षेत्र में भेज दिया गया। भारत लौटने वाले 276 लोगों में से लगभग दो-तिहाई पंजाब से हैं। 25 फीसदी यात्री गुजरात से, जबकि बाकी अलग-अलग राज्यों से निकारागुआ जा रहे थे।
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