फ्रांस के पूर्व राष्ट्रपति निकोलस सरकोजी (63) को स्थानीय पुलिस ने मंगलवार को हिरासत में लेकर पूछताछ की. सरकोजी पर 2007 के चुनाव प्रचार के दौरान लीबिया के दिवंगत शासक मुअम्मर गद्दाफी से कथित तौर पर करेंसी (यूरो) से भरे सूटकेस लेने का आरोप है. इस सिलसिले में सरकोजी के राष्ट्रपति रहने के दौरान मंत्री रहे ब्रिस होर्तफीक्स से भी पूछताछ की गई. सरकोजी खुद पर लगे भ्रष्टाचार, धन शोधन और कर चोरी के इन आरोपों को शुरू से खारिज करते आ रहे हैं.
पेरिसः फ्रांस के पूर्व राष्ट्रपति निकोलस सरकोजी (63) को पुलिस ने मंगलवार को हिरासत में लिया. निकोलस सरकोजी पर 2007 के चुनाव प्रचार के दौरान लीबिया के दिवंगत शासक मुअम्मर गद्दाफी से कथित तौर पर करेंसी (यूरो) से भरे सूटकेस लेने का आरोप है. इसी सिलसिले में फ्रांस पुलिस ने उन्हें हिरासत में लेकर कई घंटे पूछताछ की. मीडियारिपोर्ट्स के मुताबिक, सरकोजी से भ्रष्टाचार, धन शोधन और कर चोरी की जांच के संबंध में भी पूछताछ की गई. दरअसल अब तक सरकोजी इन सभी मामलों में जारीकिए समन का जवाब देने से बचते आ रहे थे.
स्थानीय पुलिस के आला अधिकारियों ने पेरिस के उपनगरीय शहर नानतेरे स्थित उनके कार्यालय में पूछताछ की. मिली जानकारी के अनुसार, सरकोजी के राष्ट्रपति रहने के दौरान मंत्री रहे ब्रिस होर्तफीक्स से भी पूछताछ की गई. बताते चलें कि नवंबर 2017 में फ्रांसीसी मूल के लीबियाई कारोबारी जैद तकीदीन ने लीबिया के नेता से मिले पैसों से भरे तीन सूटकेस सरकोजी के चुनाव प्रचार के लिए चंदे के तौर पर देने की बात कबूल की थी. तकीदीन ने जांच एजेंसी को बताया कि 2006 और 2007 में वह तीन बार कथित रकम को लेकर त्रिपोली से पेरिस आया था. हर बार उनके सूटकेस में 20 लाख यूरो थे. उसे यह रकम गद्दाफी के सैन्य खुफिया प्रमुख अब्दुल्ला सेनुसी ने दी थी. सरकोजी ने कारोबारी के इन आरोपों को बेबुनियाद बता रहे थे. फरवरी में पुलिस ने सरकोजी के एक पूर्व सहयोगी अलेक्सांद्र जौहरी को लंदन में गिरफ्तार किया था. बाद में उन्हें जमानत मिल गई थी.
क्या है मामला
फ्रांस के पूर्व राष्ट्रपति निकोलस सरकोजी पर लीबिया के दिवंगत शासक मुअम्मर गद्दाफी और उनके बेटे सैफ अल-इस्लाम से चुनाव लड़ने के लिए कथित तौर पर बड़ी रकम लेने के आरोप हैं. मामला सामने आने के बाद न्यायाधीशों ने 2013 में इन आरोपों की जांच शुरू की. केस की शुरूआत से ही सरकोजी इन आरोपों को खारिज कर रहे हैं. उनके मुताबिक, लीबिया में गद्दाफी के 41 साल के शासन को खत्म करने में अमेरिकी नेतृत्व वाले सैन्य हस्तक्षेप में उनकी भागीदारी को लेकर लीबियाई शासन के कुछ सदस्य उनसे नाराज चल थे. यही वजह है कि उन पर इस तरह के आरोप लगाए जा रहे हैं.
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