नई दिल्ली: विदेश मंत्री एस जयशंकर ने न्यूयॉर्क में काउंसिल ऑन फॉरेन रिलेशन्स पर चर्चा के दौरान भारत-चीन रिश्तों को लेकर बात की. इस दौरान उन्होंने कहा कि बीते 75 सालों में भारत और चीन के बीच सहयोग और संघर्ष का संबंध रहा है. उन्होंने कहा कि इन दोनों देशों के बीच संबंध कभी भी […]
नई दिल्ली: विदेश मंत्री एस जयशंकर ने न्यूयॉर्क में काउंसिल ऑन फॉरेन रिलेशन्स पर चर्चा के दौरान भारत-चीन रिश्तों को लेकर बात की. इस दौरान उन्होंने कहा कि बीते 75 सालों में भारत और चीन के बीच सहयोग और संघर्ष का संबंध रहा है. उन्होंने कहा कि इन दोनों देशों के बीच संबंध कभी भी आसान नहीं रहा है हमारे रिश्तों में हमेशा से कुछ न कुछ समस्याएं रही हैं. उन्होंने इसका उदाहरण देते हुए कहा कि मैं 2009 के वैश्विक वित्तीय संकट के बाद से साल 2013 तक चीन का राजदूत था. मैंने वहां सत्ता परिवर्तन देखा ये कभी भी आसान रिश्ता नहीं रहा.
न्यूयॉर्क में काउंसिल ऑन फॉरेन रिलेशन्स पर चर्चा के दौरान भारत-चीन के बीच संबंधों को लेकर जयशंकर ने कहा कि चीन के साथ समझौता करने का सबसे बड़ा आनंद यह है कि वो कभी नहीं बताते कि वो लोग ऐसा क्यों कर रहे हैं. इस लिए यह कभी भी बहुत सहज रिश्ता नहीं रहा है. इसमें हमेशा समस्याएं रही हैं. उन्होंने आगे कहा कि साल 1962 में युद्ध हुआ उसके बाद भी कई सैन्य घटनाएं हुईं लेकिन 1975 के बाद सीमा पर कोई भी घोषित युद्ध नहीं हुआ.
भारत के विदेश मंत्री ने अपने सम्बोधन के दौरान हिन्द महासागर में चीन के बढ़ते हस्तक्षेप को लेकर भी बात की. उन्होंने कहा कि हिंद महासागर में चीन की नौसेना की मौजूदगी लगातार बढ़ रही है. उन्होंने इसको लेकर पहले से कहीं अधिक सतर्क और तैयार रहने का आह्वान किया. जयशंकर ने आगे कहा कि पिछले 20-25 सालों में चीनी नौसेना की मौजूदगी और गतिविधि हिंद महासागर में लगातार बढ़ी है. साथ ही उसकी नौसेना के आकार में बहुत अधिक बढ़ोतरी हुई है. उन्होंने कहा कि चीन की इस हरकत पर हमारी नजर है और भारतीय नौसेना हर स्थिति से निपटने के लिए तैयार है.