नई दिल्ली: दुबई में एकता और भाईचारे की एक शानदार मिसाल देखने को मिली, जब गुरु नानक दरबार गुरुद्वारे में इंटरफेथ इफ्तार (अंतरधार्मिक रोजा इफ्तार) का आयोजन किया गया। बता दें इस विशेष कार्यक्रम में विभिन्न धर्मों के 275 से अधिक लोगों ने हिस्सा लिया। आयोजन का मुख्य उद्देश्य सांप्रदायिक सौहार्द और आपसी एकता को बढ़ावा देना था।

सभी धर्मों के लोग हुए इकठ्ठा

इस इफ्तार की खासियत यह रही कि इसमें शामिल होने वाले सभी लोगों ने गुरुद्वारे की परंपरा का सम्मान करते हुए जूते बाहर उतारे और सिर ढककर कार्यक्रम में भाग लिया। इस अवसर पर सरकारी अधिकारी, राजनयिक, धार्मिक नेता और अन्य प्रतिष्ठित लोग भी मौजूद थे। इस दौरान गुरुद्वारे के अध्यक्ष सुरेंद्र सिंह कंधारी ने कहा कि यह आयोजन यूएई की धार्मिक सहिष्णुता और सांस्कृतिक विविधता को दर्शाता है।

मुस्लिम समुदाय से छोड़ा नॉनवेज

इस इफ्तार की एक और खास बात यह रही कि मुस्लिम समुदाय के लोगों ने अपने हिंदू और सिख भाइयों की भावनाओं का सम्मान करते हुए केवल शाकाहारी भोजन ग्रहण किया। यह कदम सांप्रदायिक सौहार्द और आपसी सम्मान को मजबूत करने की दिशा में एक महत्वपूर्ण कदम मन जा रहा है.

बता दें, दुबई का गुरु नानक दरबार गुरुद्वारा सेवा और सामुदायिक कार्यों के लिए जाना जाता है। यहां तीन समय का लंगर (मुफ्त भोजन सेवा) उपलब्ध कराया जाता है, जहां जाति, धर्म या राष्ट्रीयता के आधार पर कोई भेदभाव नहीं किया जाता। गुरुद्वारा सामाजिक कल्याण और मानवता को बढ़ावा देने में अहम भूमिका निभा रहा है।

कौन-कौन हुआ शामिल

कार्यक्रम में प्रमुख अमीराती नागरिक और पूर्व यूएई राजनयिक मिर्जा अल सायेघ भी शामिल हुए। उन्होंने कहा, “हर बार जब मैं इस आयोजन का हिस्सा बनता हूं, तो यह एहसास होता है कि सभी धर्म शांति और प्रेम की बात करते हैं।”

भारतीय कौंसुल जनरल सतीश कुमार सिवन ने भी इस पहल की सराहना करते हुए कहा कि ऐसे आयोजनों से सहिष्णुता, समावेशिता और आपसी सद्भाव को बढ़ावा मिलता है। उन्होंने कहा कि भारत और यूएई दोनों देशों में विविधता को महत्व दिया जाता है और इस तरह के आयोजन दोनों देशों के बीच रिश्तों को और मजबूत करते हैं।

एकता की नई मिसाल

इफ्तार में अबू धाबी से आए अमेरिकी नागरिक स्टीवन एरिक्सन भी शामिल हुए। उन्होंने बताया कि वे पिछले साल से इस आयोजन में भाग ले रहे हैं और इसे लेकर उत्साहित रहते हैं। उन्होंने कहा कि गुरुद्वारे की परंपरा का सम्मान करना उनके लिए गर्व की बात है। इस आयोजन ने एक बार फिर साबित कर दिया है कि धर्म से ऊपर इंसानियत होती है, जिसे कि देशभर में एक मिसाल के तौर पर देखा जा रहा है.

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